नवभारत विशेष

Published: Jun 08, 2021 01:13 PM IST

नवभारत विशेषजेल में छूटा गुर्राना, सुशील मांगे पौष्टिक खाना

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

ओलम्पिक गोल्ड मेडलिस्ट पहलवान सुशीलकुमार की शिकायत है कि जेल के खाने से उनका पेट नहीं भरता और पोषण भी नहीं मिलता. उनके जैसे नामी मल्लयोद्धा को हाई प्रोटीन डाइट चाहिए. इसके बगैर उन्हें कमजोरी महसूस होती है. बाबा रामदेव के देसी गाय का घी का विज्ञापन करने वाला सुशीलकुमार अब घी-दूध और मेवे की पहलवानी खुराक की बजाय जेल मैन्युअल के मुताबिक वही खाना खा रहा है जो अन्य कैदियों को दिया जाता है. उसके लिए नियम-कानून तो बदले नहीं जा सकते! करनी का फल उसे कस्टडी में ले आया.

वैसे सुशीलकुमार का वकील अदालत में मांग कर सकता है कि उसके मुवक्किल की स्पेशल खुराक का प्रबंध किया जाए, चाहे तो इसका पेमेंट ले लिया जाए. इस अर्जी में बताया जा सकता है कि गामा पहलवान, दारा सिंह, किंगकांग, खली आदि पहलवानों की कैसी खुराक थी. कितना दूध, कितने अंडे व कितने फल उनके भोजन में शामिल थे. काजू, बादाम, पिस्ता भी कितना लगता था? भीम, चाणूर, मुष्टिक, कीचक, जरासंध जैसे पौराणिक पहलवानों की खुराक के बारे में भी रिसर्च कर जानकारी जुटाई जा सकती है. भीम जब बकासुर को मारने गया था तो उसके लिए ले गया एक गाड़ी भर खाना अकेले ही खा गया था. सुशील को बताना होगा कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य भी जरूरी है. अल्प भोजन करने वाले भी स्वस्थ रहते हैं और ज्यादा वर्षों तक जिंदा रहते हैं. अब वह कम खाए और गम खाए!