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Published: May 03, 2021 01:08 PM IST

नवभारत विशेषपलानीस्वामी को मुंह की खानी पड़ी, स्टालिन के काबिल नेतृत्व पर मुहर

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

जयललिता के निधन के बाद से तमिलनाडु में एआईएडीएमके प्रभावशून्य होती चली गई. वहां की दोनों द्रविड पार्टियों में सत्ता हासिल करने की जबरदस्त होड़ रहती है और इसके लिए जनता को खुलेआम प्रलोभन भी दिए जाते हैं. तमिल जनता भी हर 5 वर्ष में परिवर्तन लाने में विश्वास रखती है. डीएमके नेता एमके स्टालिन अपने पिता करुणानिधि के सही राजनीतिक उत्तराधिकारी साबित हुए हैं.

उन्होंने उत्तराधिकार की होड़ में अपने भाई अलागिरी को पहले ही पीछे छोड़ दिया था. स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके ने 141 सीटें जीत कर एआईडीएमके से सत्ता छीन ली है. एआईएडीएमके को सिर्फ 89 सीटे मिल पाईं. बंगाल व तमिलनाडु के नतीजे बीजेपी के लिए हताशजनक हैं. उसके नेता अपने कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने के लिए बड़ी-बड़ी डींग हांकते रहे लेकिन बंगाल व तमिलनाडु का जनादेश मोदी-शाह जोड़ी को जबरदस्त राजनीतिक चुनौती है.