क्रिकेट

Published: Jun 23, 2022 01:00 PM IST

Ranji Trophy 2022करोड़ों कमाने वाला BCCI 'रणजी ट्रॉफी' के लिए हो गया कंजूस! कहा- DRS महंगी...

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

Ranji Trophy: दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड BCCI पर एक बड़ा आरोप लगा है। बीसीसीआई (BCCI) अब कंजूसी करने लगा है। दरअसल, रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy 2022) के मैच के दौरान बीसीसीआई के पास DRS का इस्तेमाल करने के लिए पैसे नहीं है। बता दें कि, घरेलू क्रिकेट (Domestic Cricket) में इस समय रणजी ट्रॉफी खेली जा रही है। रणजी के फाइनल मुकाबले में मुंबई और मध्य प्रदेश (Mumbai vs MP) आमने सामने है। 

फाइनल में ‘बड़ी चूक’

शानदार फॉर्म में चल रहे मुंबई के बल्लेबाज सरफराज खान ने रणजी में बहुत सारे रन बनाए हैं, लेकिन फाइनल मुकाबले में वह एक करीबी एलबीडब्ल्यू में बच गए। मैच के पहले दिन पेसर गौरव यादव ने उन्हें लगभग अपने जाल में फंसा लिया था, लेकिन अंपायर ने सरफराज को आउट नहीं दिया। अब ये ही फैसला फाइनल के विजेता की किस्मत तय करेगा। 

अंपायर्स पर पूरा भरोसा    

मीडिया से बातचीत के दौरान बीसीसीआई के अधिकारी कहा कि, ‘हमें हमारे अंपायर्स पर भरोसा है। क्या हुआ अगर रणजी ट्रॉफी के फाइनल में DRS नहीं है, हमारे पास भारत के सर्वश्रेष्ठ अंपायर (केएन अनंतपद्मनाभन और वीरेंद्र शर्मा) हैं। डीआरएस एक महंगी तकनीक है।’ बीसीसीआई के अधिकारी के इस बयान के बाद BCCI को जमकर खरी खोटी सुननी पड़ रही है। 

तकनीक है काफी महंगी 

बता दें कि, बीसीसीआई ने हाल ही में आईपीएल के मीडिया राइट्स बेचकर 48,930 करोड़ रुपये कमाए हैं। इसी बीच एक पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि, अगर BCCI खर्च का हवाला देकर रणजी के फाइनल में DRS नहीं का इस्तेमाल नहीं कर रहा है तो यह बेहद शर्मनाक बात है। BCCI का कहना है कि DRS में ज्यादा पैसा खर्च होता है और रणजी ट्रॉफी कम संसाधनों के साथ खेली जाती है। 

दो साल पहले किया था यूज़  

भारतीय टेस्ट टीम के स्टार बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा 2018-19 सीजन में सौराष्ट्र की ओर से खेलते हुए सेमीफाइनल मैच में दो बार आउट होने से बच गए थे। इसी वजह से कर्नाटक टीम को हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद बीसीसीआई ने सीख लेते हुए रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल मुकाबलों में DRS का इस्तेमाल किया। हालांकि दो साल पहले इस्तेमाल हुए इस DRS में ना तो हॉक आई का ऑप्शन था, ना ही अल्ट्रऐज और स्नीकोमीटर का ऑप्शन था।