खेल

Published: Jun 13, 2021 12:34 PM IST

India Vs Sri Lanka श्रीलंका दौरे पर टीम में जगह नहीं मिलने के बाद चयनकर्ताओं के फैसले पर इस गेंदबाज ने दिया बड़ा बयान, कहा-हार नहीं मानूंगा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

राजकोट: बायें हाथ के तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट भारतीय क्रिकेट टीम के चयनकर्ताओं की लगातार अनदेखी से निराश नहीं हैं और उन्होंने कहा कि वह हार नहीं मानेंगे और उस खेल को खेलते रहेंगे जिसने उन्हें इतना कुछ दिया है। उनादकट को ब्रिटिश दौरे के लिये रिजर्व खिलाड़ियों में भी नहीं चुना गया था। यही नहीं वह श्रीलंका में होने वाली सीमित ओवरों की श्रृंखला के लिये भारत की दूसरे दर्जे की टीम में भी नहीं चुने गये। 

उन्होंने 2019—2020 रणजी ट्राफी सत्र में रिकार्ड 67 विकेट लेकर सौराष्ट्र को उसका पहला खिताब दिलाया था। इस 29 वर्षीय गेंदबाज ने श्रीलंका दौरे के लिये नजरअंदाज किये जाने के बाद सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं व्यक्त की। जयदेव ने ट्विटर पर लिखा, ” जब मैं बच्चा था तो मैं इस खेल के​ दिग्गजों को पूरे मनोयोग से खेलते हुए देखकर प्रेरित हुआ और मुझे अपना जुनून मिला। बाद के वर्षों में मैंने स्वयं यह अनुभव हासिल किया।” 

इंडियन प्रीमियर लीग में राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेलने वाले उनादकट ने कहा कि 2010 में भारत की तरफ से पदार्पण करने के बाद वह एक गेंदबाज के रूप में परिपक्व हुए हैं। उन्होंने कहा, ”इससे भी बढ़कर मैंने उनमें कभी हार नहीं मानने का जज्बा ​देखा और उसे आत्मसात किया। जब मैं युवा था तो कुछ लोगों ने मुझे गलतियां करने वाला, एक छोटे शहर से आकर बड़े सपने देखने वाला लड़का करार दिया।” 

उनादकट ने कहा, ”धीरे धीरे उनकी धारणा बदल गयी। इस कारण मैं भी बदल गया। मैं परिपक्व हो गया। उतार, चढ़ाव, अत्याधिक खुशी, अत्याधिक निराशा। ओह। पता नहीं मैं इस खेल के बिना क्या होता।” उन्होंने कहा, ”इस खेल ने मुझे बहुत कुछ दिया है और एक पल के लिये भी मुझे इस पर पछतावा नहीं है कि मुझे क्यों नहीं चुना गया या मेरा समय कब आएगा या मैंने क्या गलत किया। मुझे पूर्व में मौके मिले और मुझे अब भी मौके मिलेंगे। जब मुझे इन अवसरों को मिलना होगा तो वे मुझे मिलेंगे। 

उनादकट ने भारत की तरफ से एक टेस्ट, सात वनडे और 10 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं। उन्होंने राष्ट्रीय टीम की तरफ से अपना आखिरी मैच 2018 में खेला था। (एजेंसी)