औरंगाबाद

Published: Oct 09, 2021 03:51 PM IST

Aurangabad Municipal Corporationऔरंगाबाद महानगरपालिका के बेघर निवारा केन्द्र बना बेसहारों का सहारा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

औरंगाबाद. शहर के ब्रिज, रेलवे स्थानक, बस स्थानक में रहने वाले  बेघर लोगों को सहारा देने का काम सालों से औरंगाबाद महानगरपालिका (Aurangabad Municipal Corporation) द्वारा जारी है। कोविड काल में भी बेघरों को औरंगाबाद महानगरपालिका के बेघर निवारा केन्द्रों में बड़े पैमाने पर  राहत मिली। औरंगाबाद महानगरपालिका द्वारा शहर में चलाए जानेवाले 5 बेघर निवारा केन्द्र (Homeless Redressal Center) इन दिनों बेसहारा लोगों के लिए का सहारा बने हुए हैं।

औरंगाबाद महानगरपालिका के उपायुक्त सौरभ जोशी (Saurabh Joshi) ने बताया कि बेघरों को सहारा देने के लिए हाल ही में महानगरपालिका प्रशासन द्वारा बेघरों को खोजने  की मुहिम चलाई गई। इस मुहिम में शहर के क्रांति चौक ब्रिज के निचे,  रेलवे स्थानक, बस स्थानक और बाबा पेट्रोल पंप सहित अन्य स्थानों पर बेघर लोगों को खोजकर उन्हें महानगरपालिका के बेघर निवारण केन्द्रों  में रहने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि शहर में 5 बेघर केन्द्र कार्यरत है। जिसमें 4 परिवार और पुरुषों के लिए और एक  चिकलथाना में स्थित केन्द्र महिलाओं  के लिए कार्यरत है। 

214 लोगों को मिला निवारण केन्द्र में सहारा  

उपायुक्त जोशी ने बताया कि शहर के सिडको एन-6, मोतिकारंजा, रेलवे स्टेशन, गांधीनगर के अलावा चिकलथाना में स्थित 5 बेघर निवारण केन्द्र में 289 लोगों के रहने की व्यवस्था है। वर्तमान में 214 लोगों ने इन केन्द्रों में अपना घर बसाया है। जिसमें 55 वृध्द, 21 महिलाएं और 3 बच्चे शामिल है। 5 सेंटर में तीन सेंटर  निजी एजेंसी  द्वारा चलाए जाते हैं। वहीं, 2 सेंटर बचत गुट चला रहे हैं। प्रति एक सेंटर पर प्रति वर्ष 7 से 10 लाख रुपए खर्च होता है। 

कोविड काल में सभी बेघरों को खिलाया गया खाना 

कोविड काल में बेघर निवारण केन्द्र में रहनेवाले लोगों के हाथों में काम न होने से उन्हें हर दिन महानगरपालिका की ओर से रहने की साथ-साथ खाने की व्यवस्था की गई थी। उपायुक्त जोशी ने बताया कि इन केन्द्रों में रहनेवाले कई पुरुष काम कर अथवा कई लोग भीख मांगकर अपना पेट पालते है। आज भी इन केन्द्रों में रहनेवाले विकलांगों को महानगरपालिका की ओर से खाना खिलाया जाता है। इन केन्द्रों में रहने वाले नागरिकों के लिए रहने, खाने, शौचालय, स्नान की व्यवस्था की हुई है। इन निवारा केन्द्रों में सभी जाति धर्म के लोग रहते है। केन्द्र में साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान दिए जाने का दावा उपायुक्त जोशी ने किया। 

प्रमुख चौराहों पर दी जाएगी निवारण केन्द्रों की जानकारी 

बेघरों को रहने की व्यवस्था महानगरपालिका द्वारा किए जाने की जानकारी वाले बोर्ड महानगरपालिका प्रशासन ने रेलवे स्थानक, बस स्थानक, बाबा पेट्रोल पंप चौक के अलावा शहर के सभी ब्रिजों पर लगाने का निर्णय लिया है। उपायुक्त सौरभ जोशी ने बताया कि इन परिसरों में कोई लोग बेघर पाए जाते हैं तो परिसर के नागरिक  इन बेघरों को महानगरपालिका  द्वारा चलाए जाने वाले निवारण केन्द्रों में पहुंचा सकें। महानगरपालिका द्वारा हाल ही में इन बेघरों को खोजकर उन्हें रहने का सहारा देने के लिए एक विशेष मुहिम चलायी गयी। इस मुहिम में बेघर मिले 34 लोगों को निवारण केन्द्रों  में पहुंचाया गया। जोशी ने बताया कि अन्य स्थान से आया हुआ एक परिवार ब्रिज के पास सो रहा था। उनके पास एक नन्हीं बच्ची भी थी। उस बेघर परिवार को तत्काल रहने की व्यवस्था बेघर निवारण केन्द्र के एक कमरे में की गई।

 बेघरों  का मुफ्त इलाज करते है डॉ. फारुक पटेल 

बेघरों के स्वास्थ्य की देखरेख के लिए शहर के डॉ. फारुक पटेल औलिया बने हुए है। वे बीते कई सालों  से बेघर निवारण केन्द्र में  रहनेवाले भिकारी, मजदूरों की स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देकर मुफ्त में इलाज करते है। उपायुक्त सौरभ जोशी ने बताया कि पिछले साल कोरोना काल में भी डॉ. फारक पटेल ने बेघरों की नि:स्वार्थ भावना से सेवा करते हुए उनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान रखा। एक बेघर दंपति का स्वास्थ्य बुरी तरह से खराब  था। एक महिला के हाथ खराब हो चुके थे। उस महिला पर भी डॉ. फारुक पटेल ने इलाज कर उसे स्वास्थ्य  किया। यह काम उनका निरंतर जारी है। हर निवारण केन्द्र में डॉ. फारुक पटेल समय समय पर बेघरों की मुफ्त जांच कर उनके स्वास्थ्य पर विशेष लक्ष्य केन्द्रीत किए हुए है।