औरंगाबाद

Published: Feb 21, 2022 04:40 PM IST

Super-30मराठवाड़ा के ग्रामीण परिसर में जल्द शुरू होगा सुपर-30 : प्रो. आनंद कुमार

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

औरंगाबाद : कुछ छिटपुट घटनाओं (Incidents) का उल्लेख करते हुए मराठी-बिहार (Marathi-Bihar) यह बिना किसी कारण का भ्रम फैलाया जाता है। लेकिन, मराठी लोग बड़े दिलवाले है। यह बात मराठवाड़ा (Marathwada) के लोगों ने आज आयोजित किए समारोह से दिखाई दी है। आगामी काल में मराठवाड़ा के ग्रामीण परिसर (Rural Premises) में सुपर-30 शुरु किया जाएगा। यह घोषणा सुपर-30 (Super-30) के संस्थापक प्रो. आनंद कुमार (Prof. Anand Kumar) ने की।

शहर के एमजीएम विश्वविद्यालय के रुक्मिणी सभागृह में प्रो. आनंद कुमार नेशनल एवार्ड फॉर एज्यूकेशन-2021 प्रदान समारोह संपन्न हुआ। यशवंत प्रतिष्ठान की ओर से दिया जानेवाला यह पुरस्कार वाबलेवाडी जिला पुणे के जिला परिषद स्कूल के उपक्रमशील शिक्षक दत्ता वारे को प्रो. आनंद कुमार के हाथों प्रदान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता एमजीएम विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. विलास सपकाल ने की। इस अवसर पर मंच पर उद्यमि मानसिंह पवार, एमजीएम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. आशिष गाडेकर, यशवंत प्रतिष्ठान के अध्यक्ष संजय खोरे प्रमुख रुप से उपस्थित थे।

फिल्म प्रदर्शन से मुझ पर हमला हुआ

अपने विचार में प्रो. आनंद कुमार ने आगे कहा कि सुपर-30 सीनेमा के प्रदर्शन से पूर्व मुझ पर हमला हुआ। मुझ पर जानबूझकर मानहानी के दावे ठोके गए। भाई की हत्या करने का प्रयास किया गया। मैंने इन सभी घटनाओं का जिक्र सोशल मीडिया पर किया है। तब मराठवाड़ा के अंबड में बैठे हुए संजय खोरे और उनके सहकारी जीप लेकर बिहार पहुंचे और मेरे लिए अपने आत्मा को समर्पित करने की भूमिका व्यक्त की। ऐसे में मराठी-बिहारी हद्य का और कौनसा उदाहरण चाहिए। मराठवाड़ा के लोग सुख और दु:ख में हमेशा साथ देनेवाले इंसान है। मेरे नाम से  पुरस्कार मुझे ही देना यह बात मेरे समझ से परे थी। मेरी पत्नि और भाई कहते थे कि अभी तुम्हारे नाम से पुरस्कार देने का समय नहीं आया है। महाराष्ट्र के भूमि में  कई ऐसे महारत्न पैदा हुए जिन्होंने इस भूमि को पावन किया है। उनके नाम से पुरस्कार न देते हुए मेरे नाम से पुरस्कार देने की भूमिका मेरे के लिए काफी गर्व की बात है। इससे मराठवाड़ा से मेरा प्रेम जुड़ा है। मैं चुनाव जीत सकता था, लेकिन ऐसा प्रेम तथा ऐसा सम्मान मुझे नहीं मिलता। दत्ता वारे द्वारा प्रेरणा लेते हुए लोग शिक्षक बनना चाहेंगे।

जिला परिषद के स्कूलों को नाम पहुंचाउंगा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 

इस अवसर पर अपने विचार में सत्कार मूर्ति दत्ता वारे ने कहा कि एक निलंबित शिक्षक का इतना बड़ा सम्मान हो रहा है। यह समय ही मेरे लिए बहुत शानदार है। निलंबन की प्रक्रिया को यशवंत प्रतिष्ठान से यह पुरस्कार देकर जवाब दिया है। 20 फरवरी को ही मैं नौकरी छोड़ दूंगा यह बात मैंने प्रो. आनंद कुमार के व्याख्यान के समय ही तय किया था।