महाराष्ट्र

Published: Jul 26, 2022 12:52 AM IST

Bombay High Courtक्या कार्यपालिका न्यायपालिका को छोटा बच्चा समझती है, जिसे लॉलीपॉप देकर शांत किया जा सकता है: बंबई उच्च न्यायालय

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मुंबई. बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने सरकारी स्कूलों (Government Schools) में स्वच्छ शौचालय (Clean Toilet) मुहैया कराने में नाकाम रहने को लेकर महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई करते हुए सोमवार को कहा कि क्या कार्यपालिका न्यायपालिका को “छोटा बच्चा” समझती है, जिसे लॉलीपॉप देकर शांत किया जा सकता है।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने समूचे प्रदेश के सरकारी स्कूलों के शौचालयों में स्वच्छता के उचित और प्रभावी प्रबंधन के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। अदालत विधि छात्रा निकिता गोरे और वैष्णवी घोलवे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मासिक धर्म के लिए प्रभावी स्वच्छता प्रबंधन को लागू करने में केंद्र और राज्य सरकारों की विफलता पर चिंता जताई गई है।

याचिका में सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए गंदे शौचालयों के मुद्दे को भी उठाया गया है। गोरे ने महाराष्ट्र के सात जिलों के 16 शहरों के स्कूल में सर्वेक्षण किया था। अतिरिक्त सरकारी वकील भूपेश सामंत ने सोमवार को पीठ को बताया कि ऐसे सात स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और इस बाबत पीठ को एक दस्तावेज सौंपा। पीठ ने तब कहा कि दस्तावेज़ 24 जुलाई 2022 का है।

मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, “कार्यपालिका हमारे (न्यायपालिका के) बारे में क्या सोचती है? क्या हम छोटे बच्चों की तरह हैं, जिन्हें आप लॉलीपॉप दे देंगे और हम शांत हो जाएंगे?”

पीठ ने आगे कहा कि जब कार्रवाई की जाएगी तो एक महीने तक शौचालयों का रखरखाव किया जाएगा, लेकिन बाद में चीजें पहले की तरह हो जाएंगी। अदालत ने महाराष्ट्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (एमडीएलएसए) को ऐसे स्कूलों की निगरानी और औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया। (एजेंसी)