जलगांव

Published: May 27, 2022 03:31 PM IST

Illegal Tree Cuttingपेड़ों की अवैध कटाई से हो रहा पर्यावरण संकट, वन विभाग सतर्क नहीं

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

खिर्डी : रावेर तालुका (Raver Taluka) के खिर्डी खु ग्रामीण (Khirdi Khu Rural) अंचल में इन दिनों फसल कटाई के बाद खेतों में कीमती पेड़ों की लकड़ियों की कटाई जोरों पर चल रही है। ईसी कारण अवैध रूप से पेड़ों की कटाई जारी रहने से पर्यावरण (Environment) संकट बढ़ता जा रहा है। तस्कर लकड़ी किसानों से सस्ते दामों में लकड़ी लेकर आरा मिलों में बेचकर ऊंचे दाम कमा रहे हैं। फसल कटाई के बाद लकड़ी तस्कर (Smugglers) सक्रिय हो गए हैं। किसानों (Farmers) से संपर्क कर उनके खेतों में लगी कीमती लकड़ी सस्ते दामों में खरीद रहे हैं। 

राजनीतिक संलिप्तता से सक्रिय है लकड़ी माफिया

इन दिनों ज्यादा तर ग्रामीण इलाकों में प्रतिबंधित वृक्षों की कटाई और कीमती इमारती लकड़ी का अवैध व्यापार खूब जोरों पर है। जहां इस कार्य में संबंधित तालुका वन विभागीय अफसर भी लाचार नजर आ रहे हैं। इस अवैध कार्य के करोबार को बढ़ावा देने में बकायदा संबंधित विभागीय अफसरों की अंदरूनी सहमति और संरक्षण प्रदान तो नही कर रहे है। ऐसी आशंका ग्रामीण द्वारा जताई है। उल्लेखनीय है कि तालुका के ग्रामीण के ग्राम खिर्डी खु जैसे कई ग्रामीण इलाकों में लकड़ी व्यापार के इस गैर कानूनी प्रतिबंधित कारोबार के लिए सुरक्षित ठिकाना और केंद्र साबित हो रहा है। पूरी व्यवस्था के साथ तालुका भर में लकड़ी माफिया जबरदस्त प्रभाव और राजनीतिक सहभागिता के साथ सक्रिय है। वहीं, इस मामले में वन विभाग इस पर कमजोर साबित हो रहा है। विदित हो कि एक ओर जहां संबंधित प्रशासन वृक्ष बचाने और पौंधारोपण करने की बात कहते हैं। वहीं, वास्तविकता में इसकी जमीनी हकीकत इसके उलट है। 

संबंधित प्रशासन के पौंधारोपण और वृक्ष बचाओ आदेश का जमकर लकड़ी तस्करों द्वारा मखौल उड़ाया जा रहा है। पूरे सिस्टम को ताक में रखकर जमकर प्रतिबंधित लकड़ी के कारोबार खूब चल रहा है। इसको देखकर पर्यावरण प्रेमी और शुभचिंतक भी चकित हैं, क्योंकि लकड़ी तस्करों द्वारा जिस प्रकार से हरे भरे पेड़ों को काटा जा रहा है। जमा कर तस्करी की जा रहा है। इसके मुकाबले में पौधारोपण की गति काफी धीमी दिखाई देरही है। 

सारे नियमों की उड़ रही है धज्जियां

वन विभाग ने अधिसूचना में पेड़ों की अवैध कटाई पर लगाम लगाने के लिए सख्त नियम बनाए हैं। अवैध पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगाने के लिए सजा को दोगुना कर एक साल की कैद और 5,000 रुपए का जुर्माना किया गया है। पूरे खानदेश में अवैध पेडों तस्करों का बोल बाला है। वन विभाग ने इस पर लगाम लगाने के लिए नियमों में बदलाव किया है। यदि महाराष्ट्र ट्री कटिंग रेगुलेशन, 1964 की धारा तीन प्रावधानों के उल्लंघन में पेड़ों को काटा जाता है, तो पेड़ अधिकारी जांच कर मामला दर्ज कर सकते हैं। अलग-अलग वन अपराधों के लिए 2,000 रुपए से 5,000 रुपए तक की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही 1927 की धारा 42 के तहत अवैध परिवहन पर एक साल की कैद या पांच हजार रुपए जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। वन विभाग द्वारा नियमों में किए गए परिवर्तनों का भविष्य में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। लेकिन, इसके लिए वन अधिकारियों को जागरूकता दिखाने की जरूरत है।