महाराष्ट्र

Published: Nov 22, 2021 07:25 PM IST

Extortion Caseकोर्ट ने परम बीर सिंह से जुड़े जबरन वसूली मामले में पुलिस अधिकारियों की जमानत याचिका की खारिज

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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मुंबई: समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार मुंबई की एस्प्लेनेड कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह (Param bir singh) से जुड़े जबरन वसूली मामले (Extortion Case) में पुलिस अधिकारियों नंदकुमार गोपाल और आशा कोर्के की जमानत याचिका खारिज कर दी। बता दें कि इससे पहले अदालत ने पुलिस अधिकारियों नंद कुमार गोपाल और आशा कोरके को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा था। 

वहीं सोमवार को परमबीर सिंह के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में सफाई देते हुए कहा कि, परमबीर सिंह देश में मौजूद हैं और वे फरार नहीं हैं।  उन्होंने कहा कि, सिंह छिप रहे हैं क्योंकि उन्हें मुंबई पुलिस से जान का खतरा है।’ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह 48 घंटे के भीतर सीबीआई के सामने पेश होने के लिए तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है और जांच में शामिल होने का निर्देश दिया।’  इसके बाद कोर्ट ने परमबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई और महाराष्ट्र सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किया है। इस मामले की सुनवाई 6 दिसंबर को रखी गई है।

बता दें कि मरीन ड्राइव थाने में दर्ज रंगदारी के मामले में राज्य सीआईडी ने पुलिस इंस्पेक्टर नंदकुमार गोपाल और आशा कोर्के को गिरफ्तार किया था। इससे पहले मुंबई थाने में मरीन ड्राइव जबरन वसूली मामले परमबीर सिंह के खिलाफ जारी तीसरा गैर जमानती वारंट जारी कर चुकी है। लेकिन अभी तक सिंह का पता चला है।

वहीं, इस मामले में मुंबई की एक अदालत ने मंगलवार को कथित वसूली के मामले में दो पुलिस अधिकारियों को सात दिन के लिए महाराष्ट्र के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) (CID) की हिरासत में भेज दिया था। जिसमें में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह भी आरोपी हैं। 

ज्ञात हो कि पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस थाना और ठाणे के कोपरी पुलिस थाना में भारतीय दंड संहिता के तहत वसूली, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और फिरौती के लिए अपहरण के आरोपों को लेकर दर्ज की गई थी। दोनों की गिरफ्तारी श्याम सुंदर अग्रवाल की शिकायत पर हुई है। जिन्होंने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उनके खिलाफ मकोका और एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामले हटाने के लिए 15 करोड़ रुपये मांगे थे।