मुंबई

Published: Jun 25, 2021 08:35 AM IST

Blood Banksमुंबई में ब्लड का संकट गहराया, ब्लड बैंकों में 2 से 3 दिन का ही स्टॉक

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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मुंबई. मुंबई के सरकारी और महानगरपालिका के ब्लड बैंक (Blood Bank) सूखे पड़ रहे हैं। रक्त की किल्लत का संकट गहराता जा रहा है। रक्त की कमी के चलते अस्पताल (Hospital) में भर्ती मरीजों (Patients) के परिजनों को एक से दूसरे ब्लड बैंकों का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है। तो कुछ को दूसरों से मिन्नते कर ब्लड डोनेशन के लिए राजी करना पड़ रहा है। आंकड़ों पर नजर डाले तो कुछ ब्लड बैंकों में 2 से 3 दिन का स्टॉक बचा है। डॉक्टर्स, सामाजिक कार्यकर्ताओं की मानें तो अनलॉक के बाद संकट और भी गहरा गया, क्योंकि पेंडिंग ऑपेरशन के लिए मरीजों का अस्पताल में तांता लगेगा।

अस्पताल में भर्ती कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें समय यदि रक्त न मिले तो उनकी मौत भी हो सकती है। रक्त कैंसर, थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, किडनी फेलियर, सिजेरियन, बाईपास, अपघात जैसे मामलों में रक्त की तुरंत आवश्यकता होती है, लेकिन आलम यह है कि सरकारी और महानगरपालिका ब्लड बैंक में रक्त की किल्लत है। ऐसे में कई जरूरतमंदों के परिजनों को निजी ब्लड बैंकों की सहायता लेनी पड़ रही है, तो कई खुद हो डोनर खोज कर ला रहे हैं।

भविष्य में बढ़ेगी परेशानी

बायपास सर्जरी के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन ने बताया कि उन्हें 5 यूनिट एबी पॉजिटिव ब्लड लाने के लिए कहा गया था, उन्होंने डोनर तो मिल गए, लेकिन एक यूनिट कम पड़ रहा था, जिसके बाद उन्हें एक यूनिट दूसरे अस्पताल के ब्लड बैंक से लेना पड़ा। महानगरपालिका ब्लड बैंक में कार्यरत एक अधिकारी ने बताया कि महानगरपालिका और सरकारी अस्पतालों के ब्लड बैंकों में रक्त की काफी किल्लत है। मुश्किल से 2 से 3 दिन का स्टॉक बचा है। निजी ब्लड बैंक में रक्त उपलब्ध है इसलिए उतनी परेशानी नहीं हो रही है, लेकिन ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में तकलीफ बढ़ जाएगी।

फिलहाल मुंबई में रक्त की कमी होने लगी है। यह कमी दूर करने का एक मात्र उपाय है नियोजन। जब भी रक्त की कमी पड़ती है सामाजिक संस्थान, ट्रस्ट, पॉलिटिकल पार्टियां मदद के लिए आगे आती है, लेकिन सभी एक साथ ब्लड डोनेशन कैम्प का आयोजन करते हैं, जिसके बाद जरूरत से ज्यादा रक्त इक्कठा हो जाता है। नतीजतन 35 दिन बाद ब्लड को फेंकना पड़ता है क्योंकि उस की उपयोगिता समाप्त हो जाती है। इसलिए सभी ब्लड बैंक के पीआरओ, एमएसडब्ल्यू वर्कर्स पहले से ही कैम्प का शेड्यूल बनाना चाहिए। जिससे समय पर ब्लड भी मिल जाए और अतिरिक्त कलेक्शन से वेस्टेज का जोखिम भी कम हो जाए।

-डॉ. अरुण थोरात, निदेशक, स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन कॉउंसिल

ब्लड बैंक का स्टॉक (24 जून)

सभी धार्मिक संस्थानों के साथ ऑनलाइन बैठक

डायरेक्टरेट ऑफ हेल्थ सर्विसेस की निदेशक डॉ. साधना तायड़े ने मंगलवार को ही मुंबई के सभी धार्मिक संस्थानों और धर्म गुरुओं के साथ ऑनलाइन बैठक कर नियोजित तरीके रक्तदान शिबिर आयोजित करने को लेकर चर्चा की है।