मुंबई

Published: Sep 29, 2021 05:42 PM IST

Antilia Case कोर्ट ने सचिन वाज़े की नजरबंदी की याचिका को किया खारिज

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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मुंबई: एक बड़ी खबर के अनुसार एनआईए अदालत (NIA Court) ने मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाज़े (Sachin Waze) की घर में नजरबंद रखने की अपील खारिज कर दी है। अब वाज़े को तलोजा जेल अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा। बता दें कि वाज़े ने दिल की सर्जरी के बाद ठीक होने के लिए 3 महीने के लिए हाउस अरेस्ट की अपील की थी। 

विशेष न्यायाधीश एटी वानखेड़े ने कहा कि वाज़े को तत्काल तलोजा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित किया जाए और एक महीने तक जेल अस्पताल में रखा जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पिछले निर्देशों के अनुसार, वाज़े  को घर का बना खाना दिया जा सकता है और यदि आवश्यक हो तो जेजे अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सकता है।

ज्ञात हो कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी के आवास के बाहर मिली विस्फोटकों से लदी एसयूवी और व्यवसायी मनसुख हिरेन की मौत के मामले में मुख्य आरोपी वेज़ को बाईपास सर्जरी के लिए निजी अस्पताल में भर्ती होने की अनुमति दी गई थी।

गौरतलब है कि, वाज़े ने विशेष अदालत से तीन महीने की अवधि के लिए अस्थायी ‘हाउस कस्टडी’ की अनुमति मांगी थी ताकि वह एक सुरक्षित, बाँझ और तनाव मुक्त वातावरण में ठीक हो सके। उन्होंने गृह हिरासत में रहने के दौरान सुरक्षा गार्डों की उपस्थिति में अपने घर में व्यक्तिगत रूप से अपने वकील से परामर्श करने की अनुमति भी मांगी थी। वाज़े  की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वाज़े को तलोजा जेल वापस नहीं भेजा जाना चाहिए, जहां उन्हें पोस्ट ऑपरेटिव देखभाल नहीं मिलेगी और वे अधिक संक्रमणों के संपर्क में आ सकते हैं।

दूसरी तरफ एनआईए ने वाज़े को नजरबंद करने का विरोध करते हुए कहा कि यह कानून और न्याय की स्थापित स्थिति के खिलाफ है। एनआईए ने अदालत को सूचित किया कि तलोजा सेंट्रल जेल से जुड़े मुंबई के अस्पताल पूरी तरह से सक्षम हैं और आवेदक की स्वास्थ्य स्थिति की देखभाल के लिए सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं।

बता दें कि एनआईए ने वाज़े की याचिका का विरोध किया था। एनआईए ने कहा था की अगर वाज़े  की अपील मंजूर हो जाती है तो उनके के फरार होने की संभावना है। एनआईए ने विशेष अदालत के समक्ष दायर अपने हलफनामे में कहा था, “अभियोजन पक्ष के मामले में बहुत पूर्वाग्रह होगा क्योंकि इस बात की पूरी संभावना है कि अगर उक्त आरोपी को नजरबंद कर दिया जाता है तो आवेदक आरोपी फरार हो जाएगा।”