मुंबई

Published: Apr 27, 2023 09:25 PM IST

Surya Water Supply Schemeसूर्या जलापूर्ति योजना के पहले चरण का काम पूरा, जून तक वसई-विरार और मीरा-भायंदर को मिलेगा पानी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मुंबई: एमएमआर (MMR) के मुख्य शहरों वसई-विरार (Vasai-Virar) और मीरा-भायंदर (Mira-Bhayander) वासियों के लिए अच्छी खबर है। एमएमआरडीए (MMRDA) की पहली जलापूर्ति योजना के माध्यम से इन शहरों को जल्द ही शुद्ध पानी मिलने लगेगा। एमएमआरडीए कमिश्नर एसवीआर श्रीनिवास के अनुसार, वसई-विरार से लेकर मीरा-भायंदर शहर और पालघर के कई गांव में पेय जल आपूर्ति के लिए बनी सूर्या जलापूर्ति योजना (Surya Water Supply Scheme) के पहले चरण (First Phase) का काम पूरा हो गया है।

मुंबई से सटे मीरा-भायंदर और वसई-विरार इलाको में वर्षों से पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। एमएमआरडीए ने परियोजना के पहले चरण का जून 2023 में परीक्षण और संचालन करने की योजना बनाई है। इससे वसई-विरार नगर निगम को पहले भाग से 185 लाख लीटर पानी की आपूर्ति की जाएगी, जबकि मीरा-भायंदर को 218 एमएलडी पानी मिलेगा। एमएमआरडीए ने नागरिकों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 403 एमएलडी क्षमता वाला जल शोधन संयंत्र स्थापित किया है। इस परियोजना में लिफ्टिंग स्टेशन और जल शोधन स्टेशन का कार्य 98 प्रतिशत पूर्ण हो गया है। 

88 किमी पाइपलाइन

इस परियोजना के तहत सूर्या बांध से कुल 88 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई जा रही है। परियोजना में दो जल सुरंगें होंगी। इनमें मेंडवानखिंड वाटर टनल का काम पूरा हो चुका है और तुंगरेश्वर टनल का काम भी अंतिम चरण में है। 

महत्वाकांक्षी परियोजना

एमएमआरडीए आयुक्त एसवीआर श्रीनिवास के अनुसार, यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, क्योंकि एमएमआरडीए ने बुनियादी ढांचे के विकास के साथ पश्चिमी उपनगरीय क्षेत्र के लिए पहली बार जल आपूर्ति योजना पर कार्य हुआ है। पहले चरण में वसई-विरार को और मीरा-भायंदर नगर निगम को पानी की आपूर्ति की जाएगी। 

ग्रेविटी ट्रांसमिशन तकनीक

इस बहुउद्देशीय योजना के लिए एमएमआरडीए लगभग 1,350 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। पालघर जिले के जव्हार तालुके के धामनी गांव स्थित सूर्या बांध से पानी उठाया जा रहा है। इस परियोजना के अधिकांश हिस्सों में अत्याधुनिक ग्रेविटी ट्रांसमिशन तकनीक अपना कर काम किया गया है। वाटर टनेल के माध्यम से वसई और कामन खाड़ी के अंदर से पानी लाया जाएगा। अगले डेढ़ से दो माह में इसकी शुरूआत हो जाएगी।