मुंबई

Published: Mar 10, 2023 08:53 PM IST

INS Vikrantमुंबई दौरे पर ‘INS विक्रांत’, समुद्र में तैरता-फिरता किला

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

-अरविंद सिंह 

मुंबई: एयरक्राफ्ट कैरियर निर्माण करने वाले देशों की श्रेणी में शुमार भारत के पास अब दो एयरक्राफ्ट करियर हैं। सोवियस संघ से प्राप्त ‘विक्रमादित्य’ (INS Vikramaditya) के बाद अब आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वदेश में निर्मित ‘आईएनएस विक्रांत’ (INS Vikrant) समुद्र में चलता-फिरता किला है। दो एयरक्राफ्ट के बाद भी भारत की समुद्री सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए और एयक्राफ्ट की जरूरत महसूस की जा रही है। इस बात को ‘आईएनएस विक्रांत’ के कमांडिंग अफिसर विद्याधर हरके ने भी स्वीकार किया है। 

मुंबई दौरे पर पहली बार आए विक्रांत के ‘डेक’ पर शुक्रवार को मुलाकात के दौरान हरके ने कहा कि भारत तीन ओर से समुद्री सीमाओं से घिरा है। इस लंबी सीमा की रक्षा करना भारत की सेनाओं के लिए हमेशा चुनौती पूर्ण रहा है। लंबी समुद्री सीमा को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा एयरक्राफ्ट कैरियर की आवश्यकता है।

कम से कम तीन एयरक्राफ्ट की जरूरत

कोमोडोर हरके ने कहा कि पड़ोसी चीन और पाकिस्तान से देश को हमेशा खतरा बना रहता है। इसलिए समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए इस वक्त कम से कम तीन एयरक्राफ्ट की जरूरत है। हरके ने कहा कि भारत दुनिया के उन पांच देशों की श्रेणी में आ चुका हैं, जहां वह खुद अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण कर रहा है और आपरेशन भी।

 76 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी

कोमोडोर हरके ने कहा कि ‘विक्रांत’ में 76 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी है। उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ‘विक्रांत’ पर सवार हुए और उसकी खूबियों का निरीक्षण किया और प्रशंसा की। हरके के अनुसार, अल्बनीज ने कहा कि इस बार ‘मालाबार’ अभ्यास आस्ट्रेलिया के पास होना चाहिए। हरके के अनुसार, विक्रांत के आने से इंडियन ओसन रीजन में भारत काफी मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा कि तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की योजना बन चुकी है। शीघ्र ही इसे क्रियांन्वित किया जाएगा।

विक्रांत की खासियत