मुंबई

Published: May 09, 2021 08:01 AM IST

ST Buses 'लालपरी' को कोरोना के जाल से उबारने की कोशिश

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम
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मुंबई. कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के बीच लॉकडाउन (Lockdown) के चलते भारी आर्थिक नुकसान झेल रही एसटी (ST) को कोरोना के जाल से उबारने का प्रयास जारी है। महाराष्ट्र की ‘लालपरी’ (Lalpari) कही जाने वाली एसटी लॉकडाउन में भी अत्यावश्यक लोगों (Essential Services) के लिए चलाई जा रही है। 

यात्री कम मिलने से जहां एसटी का घाटा बढ़ रहा है, वहीं कर्मचारियों में भी असंतोष फैला हुआ है। राज्य के परिवहन मंत्री अनिल परब ने एसटी कर्मचारियों को भी फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा देने की मांग सीएम उद्धव ठाकरे से की है।

नहीं हुआ वैक्सीनेशन

एसटी के लगभग 98 हजार कर्मचारियों में से अधिकांश का वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है। परिवहन मंत्री अनिल परब के अनुसार, बड़ी संख्या में एसटी कर्मचारी भी कोरोना के चपेट में आए हैं। बड़ी संख्या में ड्राइवर-कंडक्टरों का वैक्सीनेशन नहीं किया गया है। प्रथमिकता के आधार पर एसटी कर्मचारियों एवं उनके परिवार को वैक्सीनेशन की मांग की गई है। कोरोना का शिकार हुए एसटी कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा दिए जाने से उनके परिवार को 50 लाख की सहायता मिल सकती है, जो अब तक नहीं मिल पाई है।  

घटे यात्री, बढ़ता घाटा

यात्रियों की कम होती संख्या, डीजल की बढ़ती कीमतें, टायर, बाधित तेल आपूर्ति, स्पेयर पार्ट्स की कमी, पुरानी बसों की संख्या, पूर्व कर्मचारियों की पेंशन, चिकित्सा भत्ता आदि खर्चों के चलते एसटी आर्थिक संकट में फंसी हुई है। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, ईंधन पर सालाना 3,000 करोड़ रुपये, टायर-रखरखाव व मरम्मत पर 600 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। टोल व सड़क कर के लिए भी एसटी को सालाना 160 करोड़ से अधिक भुगतान करना पड़ता है। 

कोरोना योद्धा का दर्जा मिलना चाहिए

समय पर वेतन भत्तों के अलावा अन्य कोई मदद कर्मचारियों को न मिलने से कामगार संगठनों में असंतोष दिख रहा है। मनसे एसटी कामगार सेना के नेता हरी माली ने कहा कि कोरोनाकाल में भी जीवन की बाजी लगा कर काम करने वाले कर्मचारियों को कोरोना योद्धा का दर्जा मिलना चाहिए। उन्होंने सभी ड्राइवर-कंडक्टर सहित अन्य एसटी कर्मचारियों को तत्काल राहत देने की मांग की।