मुंबई

Published: May 14, 2022 08:50 PM IST

Organic Bricksमुंबई में लकड़ी से नहीं, अब जैविक ईंटों से होगा शव दाह

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मुंबई: मुंबई महानगरपालिका (Mumbai Municipal Corporation) के श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी (Wood) की जगह अब कृषि और पेड़ के कूड़े, बुरादे और अन्य पर्यायी वस्तुओं से बनी जैविक ईंटों (‍Brick Biomass) का इस्तेमाल किया जाएगा। मुंबई महानगरपालिका ने 2017 में इस तरह के अभिनव प्रयोग की घोषणा की थी, लेकिन कुछ कारणों से योजना आकार नहीं ले पाई थी, लेकिन महानगरपालिका (Municipal Corporation) अब इन जैविक ईंटों के लिए टेंडर प्रक्रिया निकालने जा रही है। प्रारंभिक तौर पर इन ईंटों का इस्तेमाल मुंबई (Mumbai)के 14 श्मशान भूमि में प्रायोगिक तौर पर किया जाएगा। 

गौरतलब हो कि महानगरपालिका ने 2017 में दाह संस्कार के लिए जैविक ईंटों को लकड़ी के विकल्प के रूप में प्रयोग किया था। इन जैविक ईंटों का प्रयोग तीन श्मशान में किया गया था। महानगरपालिका ने अब पर्यावरण की रक्षा के लिए 14 श्मशान भूमि में इस तरह के ईंटों का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। 

वनों के संरक्षण और पेड़ों को बचाने की कवायद

वनों के संरक्षण और पेड़ों को बचाने के इसी कड़ी में महानगरपालिका ने श्मशान में बिजली और गैस आधारित दहन केंद्र बनाए हैं। हालांकि अभी भी कई जगहों पर पारंपरिक तरीके से शव दहन किया जा रहा है। जहां महानगरपालिका द्वारा नि:शुल्क लकड़ी आपूर्ति की जाती है। अब लकड़ी के विकल्प के रूप में कृषि अवशेष और वृक्ष अपशिष्ट से ब्रिकेट्स बायोमास का उपयोग किया जाएगा, जो पर्यावरण के अनुकूल है। महानगरपालिका अधिकारी मंगला गोमरे द्वारा इसके तहत योजना प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि जल्द ही इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। 

एक शव के लिए 300 किलो लकड़ी

पारंपरिक श्मशान में प्रत्येक शव के लिए महानगरपालिका द्वारा 300 किलो लकड़ी नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है। यह 300 किलो लकड़ी आमतौर पर 2 पेड़ों से प्राप्त होती है। 14 श्मशानों में हर साल लगभग 6,200 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। दाह संस्कार के लिए साल भर में करीब 18 लाख 60 हजार किलो लकड़ी का इस्तेमाल होता है।

क्या है जैविक ईंट

राज्य में एक तिहाई कृषि अवशेष का निपटान किया जाता है। इससे ‘ब्रिकेट्स बायोमास’ बनाया जाता है। इसका उपयोग करने से पर्यावरण की शुद्धता बनी रहती है। प्रत्येक शव के लिए 250 किग्रा ब्रिकेट्स बायोमास पर्याप्त होती है क्योंकि ब्रिकेट्स बायोमास की ‘दहन गर्मी’ लकड़ी की तुलना में अधिक होती है।

14 चयनित कब्रिस्तान

इस योजना के तहत मालाबार हिल में मंगलवाड़ी (बाणगंगा) श्मशान, भायखला में वैकुंठधाम हिंदू श्मशान, गोयारी हिंदू श्मशान, धारावी हिंदू श्मशान, खरदंडा हिंदू श्मशान, वर्सोवा हिंदू श्मशान, मध्य हिंदू श्मशान, कांदिवली में पूर्व में वडारपाड़ा हिंदू श्मशान, दहिसर, चुना भट्टी, अनिक गांव, भांडुप गुजराती सेवामंडल श्मशान और मुलुंड नागरिक सभा हिंदू श्मशान।