मुंबई

Published: Mar 16, 2022 09:16 PM IST

Vasai-Virarवसई-विरार में मार्च में ही शुरू हुई पानी की किल्लत

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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विरार: मार्च महीने में ही वसईकरों को पानी की किल्लत (Water Shortage) शुरू हो गई है। इसमें पूर्व क्षेत्र का बड़ा इलाका पानी (Water) की समस्या को दूर करने के लिए बोतल बंद पानी का इस्तेमाल करता हैं, लेकिन इस वर्ष बोतल बंद पानी की कीमत में इजाफा होने से नागरिकों के मुंह का पानी सूखने लगा है। इस वर्ष पानी की कीमत में 10 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है।

वसई-विरार (Vasai-Virar) के कई इलाकों में मार्च महीने में ही पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है। वसई-विरार महानगरपालिका (Vasai-Virar Municipal Corporation) द्वारा आज भी कुछ इलाकों में पानी आपूर्ति नहीं करती हैं। जिसमें पूर्व क्षेत्र के कई इलाके ऐसे हैं, जहां महानगरपालिका का पानी न होने से नागरिकों को पारंपरिक श्रोत और बाहर से खरीदकर पानी की किल्लत दूर करनी पड़ती हैं। 

बोतल के पानी के दामों में इजाफा

पानी की भारी कमी के चलते ही क्षेत्र में हजारों की संख्या में अवैध मिनरल वाटर की दुकान फल-फूल रही हैं। ऐसे में अब बोतल बंद पानी का व्यवसाय करने वाले पानी माफियाओं ने पानी की कीमत बढ़ा दी है। पहले 20 से 30 रुपए में मिलने वाले 20 लीटर के बोतल अब 40 से 50 रुपए में बेचे जा रहे हैं। जिसके कारण नागरिकों का आर्थिक बजट बिगड़ रहा है। सामान्यतः पानी पर केवल 900 रुपए खर्च करने पड़ते थे, लेकिन अब नागरिकों को इसके लिए 1200 से 1500 रुपए खर्च करना पड़ रहा हैं।

इन इलाकों में हो रही कम दबाव से पानी की आपूर्ति

विरार पूर्व के इलाके कारगिल नगर, नागीनदास पाडा, श्रीप्रस्था, लक्ष्मी नगर, श्रीराम नगर, संतोष भुवन, टाकी रोड, मोरेगांव, जीजाई नगर, प्रगति नगर, बिलालपाडा, आचोले, वालीव, जीवदानी पाडा, समेल पाडा, तुलिंज, राधानगर, दिवानमान, सातिवली, जुचंद्र, कामण, चिंचोटी इलाकों में बड़े पैमाने पर बैठी चलियां हैं। इनमें ज्यादातर इलाकों में मनपा का पानी नहीं है, यदि है, भी तो वह काफी कम दबाव से आते हैं। जिसके कारण यहां के रहिवासियों को पीने के लिए बोतल बंद पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है। यह पानी सुद्ध न होने पर भी नागरिकों को मजबूरन खरीदना पड़ता है। 

शहर में चल रहे चार हजार से अधिक मिनरल वाटर प्लांट 

स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करने वाले चार हजार से अधिक मिनरल वाटर प्लांट शहर में चल रहे हैं। इन पानी प्लांट में नाले, तालाब, खदान जैसे इलाकों से लाए जाने वाले पानी को खरीदकर उसे फिल्टर कर नागरिकों को बाटली बंद पानी के नाम पर बेचे जाते हैं। जो नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होने के बावजूद प्रशासन कि ओर से इस पर कार्रवाई नहीं की जाती हैं। मनपा का स्वास्थ्य विभाग अन्न और औषध विभाग को जिम्मेदार बताती है और अन्न और औषध विभाग बोतल सील न किए जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं करती है। मनपा की जिम्मेदारी बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लेती हैं। जिसके कारण इन पानी माफियाओं पर कोई भी कार्रवाई नहीं की जाती। अब उनके द्वारा पानी के दाम बढ़ाए जाने से नागरिकों को पानी के लिए अधिक पैसे गिनने पड़ रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी उन्हें स्वास्थ्य को खतरा बना रहता है।