मुंबई

Published: Nov 13, 2023 03:01 PM IST

Weather Change Weather मुंबई और महाराष्ट्र में क्यों बदल रहा है मौसम का मिज़ाज़

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
नवभारत ग्राफिक्स
मुंबई: मुंबई (Mumbai) और महाराष्ट्र (Maharashtra) में मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है और मौसम (Weather) के मिजाज का बदलना मुंबई और महाराष्ट्र के लिए चिंता का विषय साबित हो सकता है। क्योंकि इस बार इसके बदलने का कारण प्रदूषण है। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि मुंबई और महाराष्ट्र का मौसम आने वाले दिनों में कैसा रहेगा और इसमें क्या कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे? क्या इसका कोई दुष्परिणाम है और अगर है तो उससे बचाव का रास्ता क्या है?
 
200 पहुंचा मुंबई का एक्यूआई 
मुंबई के मौसम को समझने से पहले इसकी भौगोलिक स्थिति को समझना बेहद जरूरी है मुंबई समुद्री तट के किनारे है। ऐसे में मुंबई में हवा की नमी और हवा का दबाव दोनों अधिक मात्रा में मौजूद रहता है और इसकी वजह से मौसम में तीव्र बदलाव देखने को मिलते हैं। मानसून के आखिर में सर्दी की शुरुआत होती ही मुंबई की हवा का मिजाज बिगड़ गया और वायु की गुणवत्ता काफी खराब हो गई। एक्यूआई सूचकांक कि अगर बात करें तो मुंबई 160 से 170 के एक्यूआई सूचकांक पर पहुंच गई और दिवाली में इसने 200 के आंकड़े को छू लिया। वायु की गुणवत्ता मुंबई में दिवाली के अगले दिन सबसे ज्यादा खराब रही तस्वीर में आप देख सकते हैं दिवाली के एक दिन बाद 13 नवंबर का वायु गुणवत्ता सूचकांक का आंकड़ा नजर आ रहा है। जिसमें मुंबई का एक यूआई आंकड़ा 200 को छूता हुआ दिखाई दिया है। 
 

फेल हुई बीएमसी 
मुंबई में हवा खराब होते ही बृहन्ममुंबई महानगरपालिका ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी। लेकिन वह पूरी तरह से इसमें नाकामयाब नजर आ रही है। मुंबई महानगरपालिका ने सड़क धोने का काम किया, लकड़ी के जलाए जाने पर रोक लगाई, वाहनों से जुर्माना वसूल किया, एंटी स्मोक गन का सहारा भी लिया गया, लेकिन उसके बावजूद मुंबई की वायु गुणवत्ता में कोई सुधार देखने को नहीं मिला जिसके बाद महानगरपालिका को मुंबई हाईकोर्ट की तरफ से फटकार भी मिली। 

 

जनता को जागरूक होने की जरुरत 
दरअसल सर्दी के समय शुष्क हवा में अचानक से जब नमी बढ़ती है तो प्रदूषक बढ़ जाता है और यह वायु प्रदूषण को बढ़ाने का मुख्य कारण बन जाता है। चाहे वह वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन हो या फिर कारखानों से निकल रहे उत्सर्जन या फिर हवा में मौजूद धूल के कण सभी मिलकर वायु की गुणवत्ता को पूरी तरह से खराब कर देते हैं। वायु में प्रदूषण का यह सिलसिला पूरी सर्दी मुंबई और महाराष्ट्र के लोगों को परेशान करता है। जिसके लिए महानगर पालिका के प्रयासों के साथ-साथ खुद नागरिकों को भी वायु प्रदूषण को लेकर जागरूक होने की जरूरत है। 

मुंबई और महाराष्ट्र के इलाकों में बढ़ा हुआ प्रदूषण फिलहाल मुंबई और महाराष्ट्र के मौसम में बदलाव का कारण बना हुआ है। नीचे दी गई तस्वीर मैं आप देख सकते हैं कि देशभर में प्रदूषण की स्थिति क्या है और महाराष्ट्र में इसका स्तर कितना है। देशभर के मुकाबले में महाराष्ट्र में प्रदूषण अधिक दिखाई दे रहा है। हालांकि दिल्ली की अगर बात करें तो सिर्फ दिल्ली और एनसीआर के क्षेत्र में प्रदूषण ज्यादा है जबकि बाकी के इलाकों में वायु की गुणवत्ता अच्छी दिखाई दे रही है। 

 
 
बढ़े हुए प्रदूषण के कारण मुंबई और महाराष्ट्र के मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है और यह आने वाले वक्त में भी देखने को मिलेगा यानी मौसम साफ होते ही इस में हुए बदलाव भी खत्म हो जाएंगे। दरअसल मौसम क्या है? जलवायु क्या है? इसमें परिवर्तन क्यों होता है? यह समझना भी काफी जरूरी है। 
 
क्यों होता है मौसम में बदलाव 
मौसम में बदलाव एक ऐसी घटना है जो विभिन्न कारकों से प्रभावित होती है। मौसम वायुमंडल की वह स्थिति है, जो यह बताती है कि यह किस हद तक गर्म या ठंडा, गीला या सूखा, शांत या तूफानी, साफ या बादल है। मौसम एक स्थान से दूसरे स्थान के बीच हवा के दबाव, तापमान और नमी के अंतर से प्रभावित होता है। इन अंतरों को किसी विशेष स्थान पर सूर्य के कोण के कारण अनुभव किया जा सकता है, जो अक्षांश के साथ बदलता रहता है। ध्रुवीय और उष्णकटिबंधीय हवा के बीच मजबूत तापमान विरोधाभास सबसे बड़े पैमाने पर वायुमंडलीय परिसंचरण का कारण बनता है। 
 
 
क्या होती है जलवायु 
मौसम और जलवायु अलग-अलग घटनाएं हैं फिर भी वे एक-दूसरे से संबंधित हैं। किसी दिए गए क्षेत्र की अल्पकालिक स्थितियों को मौसम के रूप में जाना जाता है। किसी दिए गए क्षेत्र में मौसम की स्थितियों के दीर्घकालिक समुच्चय को जलवायु कहा जाता है।
 
 
बदलते मौसम के दुष्परिणाम 
बढ़े हुए प्रदूषण की वजह से मौसम में आए बदलाव के दुष्परिणाम भी होते हैं। जैसे प्रदूषण में बढ़े हुए तापमान की वजह से लोगों के बीमार होने की तादाद बढ़ जाती है। क्योंकि ऐसे समय संक्रामक रोग हवा में तेजी से फैलते हैं। संक्रामक रोगों के अलावा त्वचा संबंधी बीमारियां भी इस दौरान बड़ी संख्या में देखने को मिलती है। अस्थमा के रोगियों को खासतौर पर सावधान रहने की हिदायत दी जाती है। तो कुल मिलाकर बढ़े हुए प्रदूषण के चलते मौसम में आए बदलाव के काफी दुष्परिणाम भी दिखाई देते हैं। 
 
 
दुष्परिणाम से बचाव का रास्ता 
दुष्परिणामों से बचने के लिए वहां मौजूद लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्हें अपने स्वास्थ्य को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है। संक्रामक रोगों से खुद का बचाव कैसे करें इसके बारे में पूरी जानकारी उनके पास होनी चाहिए। तबीयत खराब होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। खुद इलाज करने से बचना चाहिए। बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करना चाहिए। उबला हुआ या फिर फिल्टर किया हुआ पानी पीना चाहिए। त्वचा में कोई भी बदलाव दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।