मुंबई

Published: Oct 12, 2020 06:59 PM IST

कोरोना संक्रमणकौन सी मुंबई चाहिए, 'च्वाइस इज योर्स', कोरोना संकट के पहले की या बाद की

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम
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मुंबई. सितंबर महीने की अपेक्षा अक्टूबर में मरीजों की संख्या में कमी आई है, लेकिन लोगों की लापरवाही के कारण कोरोना संक्रमण को तेजी से नियंत्रित करने में बहुत मुश्किल आ यही है. अब यह मुंबईकरों पर निर्भर है कि वे अपनी आदतों में कितना बदलाव करते हैं. उन्हें कोरोना का संकट शुरू होने से पहले वाली हंसती खिलखिलाती मुंबई चाहिए या संकट के बाद लगाए गए तमाम प्रतिबंधों से दबी कुचली वाली मुंबई. यह चयन अब आपको करना है. मुंबई में कोरोना संक्रमण को काबू में करने के लिए इस तरह की भावुक अपील मुंबई मनपा कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने लोगों से की है.

राज्य सरकार व मनपा अपने स्तर पर प्रयासरत

उन्होंने कहा है कि मुंबई में कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए राज्य सरकार और बीएमसी अपने स्तर सभी प्रयास कर रहे हैं. स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध काराने के लिए मानव संसाधन से लेकर अन्य सुविधाओं पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए. आय बाधित है फिर भी लोगों को बचाने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है. यह इसलिए कि मुंबईकर सुरक्षित रहेंगे तो सब कुछ फिर से हासिल कर लिया जाएगा. लेकिन मुंबईकर अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे हैं. इतनी लापरवाह तो पहले नहीं थे. मुंबई पर न जाने कितने संकट आए, हर बार संकटों को मात देकर मुंबई उठ खड़ी हुई.

बाहर निकलने पर अवश्य लगाएं मास्क

मनपा कमिश्नर ने लोगों से सवाल किया कि कोरोना को परास्त करने के लिए इतनी लापरवाही क्यों. एक की गलती का खामियाजा सैकड़ों को भुगतना पड़ रहा है. छोटा सा कार्य है. घर से बाहर निकलने तक मुंह पर मास्क लगाए रहें,  कुछ मिनट के अंतराल पर हाथ धोते रहें या सेनिटाइजर लगाते रहें, 6 फुट की सामाजिक दूरी बनाए रखेंगे तो कोरोना के छूमंतर होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. फिर पहले के जैसा अपनी मर्जी के मुताबिक खुली हवा में सांस ले सकते हैं. ऐसा नहीं किए, नियमों का पालन करने में आनाकानी होती रही तो प्रतिबंधों के नीचे ही सिसक-सिसक कर जीना होगा. न वायरस खत्म होगा और न ही प्रतिबंध हटेंगे.सिर्फ सरकार के भरोसे कोरोना को खत्म नहीं किया जा सकता. अभी तक कोई दवा नहीं आई है, जिससे कोरोना को रोका जा सके ? कोरोना से मरीजों को ठीक करने के लिए जितनी दवाएं उपलब्ध हैं उनका उपयोग किया जा रहा है. आपको अपनी जिम्मेदारी निभानी है. 

18000 लोगों की रोजाना जांच का लक्ष्य

बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने बताया कि मुंबई में सितंबर महीने की अपेक्षा अक्टूबर महीने में कोरोना मरीजों में दिख रही वृद्धि बुझने से पहले दीए की तेज होती लौ के समान है. सितंबर में  8.87 लाख लोगों की जांच की गई थी. अक्टूबर में 10 दिन बीते हैं 12.61 लाख जांच पूरी कर ली गई. इसमें ज्यादातर आरटी-पीसीआर जांंच हुई है. सितंबर तक रोज 7000 जांच होती थी, अब रोज 12,500 लोगों की जांच की जा रही है. जिसे बढ़ा कर 18000 प्रतिदिन करने का लक्ष्य रखा गया है. जांच बढ़ेगी तो संख्या भी बढ़नी है. इससे पता चलता है कि मुंबई में कोरोना वायरस का संक्रमण कितने व्यापक स्तर पर फैल चुका है. 

मृत्यु दर में गिरावट

उन्होंने आंकड़े जारी करते हुए कहा कि सितंबर माह में कोरोना पॉजिटिव रोजाना 2000- 2500 मरीज मिल रहे थे. 11  सितंबर तक कोरोना के 26,632 एक्टिव मरीज थे. एक महीने बाद 11 अक्टूबर तक एक्टिव मरीजों की संख्या 22,369 पर आ गई है. पिछले एक महीने से मृत्यु दर दर 2.1% है. मुंबई में 11 सितंबर तक कुल मृत्युदर  5.0% थी जो अब  घट कर 4.14 पर आ गई है. डबलिंग रेट भी 11 सितंबर को 58 था जो बढ़ कर 69 दिन हो गया है. डिस्चार्ज रेट भी 74% से 85% पर पहुंच गया है. मुंबई के अस्पतालों में कोविड बेड 11 सितंबर तक 4165 और आईसीयू 85 बेड बेड रिक्त थे. अब  4922 बेड और 267 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं. 

नियमों का पालन करें लोग

मुंबई में स्थिति नियंत्रण में है. त्योहार के सीजन के बाद जो हालत उत्पन्न हुए थे, उन पर काबू पा लिया गया है. बड़ी संख्या में नागरिक बिना फेस मास्क लगाए बाहर निकल रहे हैं. ऐसा होता रहा तो आगे स्थिति और भी विकट हो सकती है. इसका असर मुंबई को पूरी तरह से अनलॉक करने पर पड़ेगा. बीएमसी लगातार लोगों में जागरूकता अभियान चला रही है. कोरोना वायरस के समूल नाश के लिए लोगों को नियमों का पालन करना पड़ेगा. नहीं तो इसके बड़े दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं. -इकबाल सिंह चहल,बीएमसी कमिश्नर