नाशिक
Published: Jul 21, 2022 06:56 PM ISTNashik Municipal Corporationछह महीने में 600 किलो प्लास्टिक जब्त, महानगरपालिका ने वसूला इतने लाख रुपए का जुर्माना
नाशिक : नाशिक महानगरपालिका (Nashik Municipal Corporation) की ओर से प्लास्टिक (Plastic) प्रतिबंध पर सख्ती से अमल किया जा रहा है। इसके तहत जनवरी 2022 से जून 2022 की कालावधि में महानगरपालिका की ओर से 174 मामलों में 9 लाख, पांच हजार रुपए बतौर जुर्माना (Fine) वसूले गए हैं। महानगरपालिका प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई (Action) में करीब 600 किलो प्लास्टिक जब्त (Plastic Confiscated) किया गया। ‘आइए समृद्ध पर्यावरण की रक्षा करें’ के नारे के आधार पर नाशिक महानगरपालिका जन जागरूकता (Awareness) पैदा कर रही है। नागरिकों के मन में ‘अलविदा सिंगल यूज प्लास्टिक, अब हम फर्क करेंगे’ का विचार पैदा किया जा रहा है।
पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक स्वच्छता के लिए प्रभावी ढंग से जन जागरूकता पैदा की जा रही है। दुकानदारों को प्लास्टिक का प्रयोग न करने की सलाह दी जा रही है। हरित नाशिक-स्वच्छ नाशिक के लक्ष्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विभाग कमिश्नर रमेश पवार के मार्गदर्शन में प्रभावी कार्य कर रहा है।
600 किलो प्लास्टिक जब्त
जनवरी महीने में 35 मामलों में से 1 लाख, 95 हजार रुपए जुर्माना और 86 किलोग्राम प्लास्टिक जब्त किया गया था। फरवरी महीने में 16 प्रकरणों में 80 हजार रुपए और 45 किलो प्लास्टिक जब्त किया गया। मार्च महीने में 38 मामलों में से 1 लाख, 95 हजार रुपए का जुर्माना और 95 किलोग्राम प्लास्टिक जब्त किया गया है। अप्रैल महीने में 11 मामलों में 55 हजार रुपय का जुर्माना और 22 किलो प्लास्टिक जब्त किया गया था, जबकि मई महीने में 52 मामलों में से 2 लाख, 65 हजार रुपए का जुर्माना और 295 किलोग्राम प्लास्टिक जब्त किया गया था। जून माह में 22 मामलों में से 1 लाख, 15 हजार, 57 किलो प्लास्टिक का जुर्माना जब्त किया गया है। पिछले छह महीने में 600 किलो प्लास्टिक जब्त किया गया है और 9 लाख पांच हजार जुर्माना वसूल किया गया है।
खरीदार पर जुर्माना
प्लास्टिक रखने या बेचने वालों पर पहली बार 5000, दूसरी बार 10000 और तीसरी बार 25000 का जुर्माना लगाया जाएगा। संचित प्लास्टिक का पुनर्चक्रण संचित प्लास्टिक का पुनर्चक्रण किया जाता है। इस प्लास्टिक को पाथर्डी के पास नाशिक अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना में संसाधित किया जाता है, एक परियोजना में, प्लास्टिक को दानों में बनाया जाता है, इसे दूसरी कंपनियों को देकर दोबारा तैयार किया जाता है। एक अन्य परियोजना में सूखे कचरे से एकत्रित प्लास्टिक से ईंधन का उत्पादन किया जाता है। इसे आरडीएफ यानी रिफ्यूज व्युत्पन्न ईंधन कहा जाता है, इस आरडीएफ की आपूर्ति सीमेंट उद्योग को की जाती है।