नासिक

Published: Mar 30, 2023 12:59 PM IST

Ajit Pawar slams Shinde-Fadnavisसुप्रीम कोर्ट का नपुंसक कहना क्या महाराष्ट्र का अपमान नहीं है? अजित पवार का शिंदे-फडणवीस सरकार पर तीखा वार

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मुंबई: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) द्वारा महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) को नपुंसक कहने के बाद अब विपक्ष ने शिंदे-फडणवीस पर हमला किया है। संजय राउत (Sanjay Raut) के बाद अब विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार (Ajit Pawar) ने नासिक में मीडिया से बात करते हुए इस मुद्दे पर सरकार पर हमला बोला है। “क्या अदालत द्वारा सरकार को नपुंसक कहना महाराष्ट्र का अपमान नहीं है?” ऐसा सवाल अजित पवार ने उठाया है।

कोर्ट ने आखिर क्या कहा?

केरल के एक पत्रकार ने महाराष्ट्र में कुछ सभाओं में हिंदू संगठनों द्वारा दिए जा रहे नफरत भरे भाषणों के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने का मुद्दा उठाते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा, “यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि राज्य सरकार नपुंसक है, वह डरपोक है, वह समय पर कार्रवाई नहीं कर रही है। अगर यह सब हो रहा है, तो हमें किसी राज्य सरकार की क्या जरूरत है?”

नपुंसक कहना, महाराष्ट्र का अपमान

वहीं, दौरान अजित पवार (Ajit Pawar) ने कहा, ‘कल सुप्रीम कोर्ट ने इस सरकार को नपुंसक कहा। क्या यह महाराष्ट्र का अपमान नहीं है? क्या यह सरकार की कमजोरी नहीं है? हम 4 हफ्ते से सत्र के मौके पर कह रहे हैं कि विधायकों की अयोग्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। यह अभी तय नहीं हुआ है। इसके बारे में बात करना सरकार के प्रमुखों को बुरा लगता है। अब सुप्रीम कोर्ट युगपुरुष छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र और यहां की सरकार को नपुंसक बता रहा है। कौन जानता है कि प्रशासन कैसे चल रहा है। अब किसे दोष दें, उन्हें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।”

सरकार को दिया सुझाव 

अदालत की टिप्पणी के बाद अजित पवार ने सुझाव दिया है कि सरकार को एक बैठक करनी चाहिए और चर्चा करनी चाहिए। आगे बोलते हुए पवार ने कहा कि सच बोलने पर सरकार नाराज हो जाती है। सिस्टम को किसी के दबाव में काम नहीं करना चाहिए।

“सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनी राय दर्ज करने के बाद, सभी को उसका सम्मान करना चाहिए और सरकार को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। 1960 से लेकर एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने तक क्या कभी सुना है कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में किसी सरकार को नपुंसक कहा? यदि सर्वोच्च न्यायपालिका ऐसा कहने लगे तो सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। “

अजित पवार ने आगे शिंदे सरकार से कहा, कोर्ट ने तुषार मेहता को जमकर खरी खोटी सुनाई। उनसे संपर्क करके फैसला करना चाहिए कि वास्तव में क्या हुआ और आगे क्या कार्रवाई की जानी चाहिए।

एनसीपी नेता ने आगे कहा, “संविधान कहता है कि सभी को जाति-धर्म-संप्रदाय का सम्मान करना चाहिए। लेकिन ऐसा करते समय समाज में दरार पैदा नहीं होनी चाहिए। कानून व्यवस्था संकट में न आए इस बात की कोशिश भी होनी चाहिए। कोर्ट ने कुछ की विधायक-गोपनीयता रद्द की है। कुछ को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। अजीत पवार ने यह भी कहा कि जिन महापुरुषों का हम सम्मान करते हैं, उन्होंने हमें जो सिखाया है उसे ध्यान में रखना चाहिए और उसके अनुसार कार्य करना चाहिए।