नाशिक

Published: Oct 10, 2021 05:14 PM IST

Trimbakeshwar Controversyमंदिर प्रवेश को लेकर विवाद, त्र्यंबकेश्वर गर्भगृह में श्रद्धालुओं के आने पर रोक

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

त्र्यंबकेश्वर. किसी न किसी घटना को लेकर हमेशा चर्चाओं के केंद्र में रहने वाले त्र्यंबकेश्वर देवस्थान ट्रस्ट (Trimbakeshwar Devasthan Trust) को एक बार फिर नए विवाद का सामना करना पड़ा है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर (Trimbakeshwar Temple) के गर्भगृह (Sanctum) में पुजारियों समेत श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में भक्तों में गुस्से का माहौल बना हुआ है। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर का वृत्तांत है।

भोलेनाथ के दर्शन के लिए देश भर से श्रद्धालु यहां आते हैं। लेकिन इस बार उन्हें गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।   देवस्थान ट्रस्ट के इस फैसले ने एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार ट्रस्ट ने शुरू में मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इस लिए भक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। इससे शिवलिंग को कष्ट होने लगा। ऐसा कारण दिया गया। इस निर्णय के बाद जब साधु-महंत दर्शन के लिए मंदिर में जाने लगे। तब उन्हें भी प्रवेश से वंचित कर दिया गया। केवल पुजारियों को मंदिर में प्रवेश करने के लिए कहा गया। इससे साधु और महंत स्वाभाविक रूप से नाराज हो गए। उन्होंने फैसले का विरोध किया। मामला सामने आते ही ट्रस्ट ने अपने फैसले को पलट दिया और केवल त्रिकाल उपासकों और तुंगारों को छूट देते हुए पुजारी को गर्भगृह में प्रवेश करने पर रोक लगा दी। इस फैसले से श्रद्धालुओं में आक्रोश है।

अघोषित धन की मांग

सवाल यह है कि भगवान किसके लिए हैं, भक्तों के लिए या ट्रस्ट के लिए? कोरोना काल के दौरान सेवा के लिए प्रशासन द्वारा त्र्यंबकेश्वर देवस्थान स्थल का अधिग्रहण किया गया था। पिछले महीने देवस्थान ट्रस्ट ने जमीन के किराए के लिए प्रशासन से 99 लाख 63 हजार रुपये की मांग की थी। इससे विवाद खड़ा हो गया। इस मांग के बाद जिला प्रशासन ने मंदिर को पत्र लिखकर अपनी जिम्मेदारी से अवगत कराया था।   पत्र में कहा गया है कि उनका संगठन एक सार्वजनिक ट्रस्ट के रूप में एक सेवा-उन्मुख संगठन में पंजीकृत है। इसलिए ऐसी संस्था को सरकार के लिए मुफ्त इलाज के प्रयासों में सहयोग करने की आवश्यकता थी।  लेकिन ऐसा किए बिना, ट्रस्ट ने समझ से बाहर और अघोषित धन की मांग की है। 

किराया मांगना बहुत ही अनुचित है

यह मांग जायज नहीं है, ऐसे में त्र्यंबक देवस्थान के पदाधिकारियों को आलोकित किया गया है।   इसके अलावा, प्रशासन ने संस्थान को विस्तृत दस्तावेज जमा करने का आदेश दिया था।   उसके बाद भी मंदिर ने ट्रस्ट ने प्रशासन को प्रतियाद नहीं दिया।   एक तरफ राज्य में कई धर्मार्थ संगठन, मंदिर कोरोना काल में सरकार की मदद के लिए आगे आए। इतना ही नहीं, गांव और शहर के छोटे-छोटे संस्थानों ने भी हर संभव सहायता की। ऐसी विकट स्थिति में किराया मांगना बहुत ही अनुचित है।   जब त्र्यंबकेश्वर देवस्थान के खजाने में करोड़ों रुपये पड़े हों तो ऐसी दरिद्रता दिखाना उचित नहीं है। इसलिए मंदिर के पूर्व न्यासियों ने पहले मांग की थी कि इन पदाधिकारियों को पद से हटाया जाए। इस नए फैसले के बाद पूर्व ट्रस्टी क्या भूमिका लेते हैं इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है।