नासिक

Published: Feb 14, 2023 02:34 PM IST

Rising Prices LPGगैस सिलेंडर के बढ़ते दामों से, एक बार फिर गरीबों के घरों में जलने लगे चूल्हे

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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नासिक : प्रदूषण मुक्त गांव (Village) के सपने को साकार करने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) की ओर से प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Gas Yojana) लागू की गई है, इसके तहत कई परिवारों को गैस कनेक्शन (Gas Connection) दिया जा चुका है, लेकिन जैसे ही गैस के दाम बढ़े गरीबों ने गैस सिलेंडर (Gas Cylinder) खरीदने की क्षमता न होने के कारण फिर से चूल्हे (Stove) पर खाना बनाना शुरु कर दिया है। हालांकि शहरी क्षेत्रों में अभी-भी गैस सिलेंडर ही प्रयोग में लाए जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर घरों में चूल्हे फिर से जलने लगे हैं। केंद्र सरकार ने 2016 से प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना की शुरुआत हर परिवार के घर को खाना बनाते समय प्रदूषण मुक्त बनाने और गरीब महिलाओं को खाना बनाते समय परेशानी न हो इसके उद्देश्य से की थी। 

इस योजना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के परिवार, अंत्योदय, अन्नपूर्णा योजना के लाभार्थी, वन प्रभावित परिवार, अति पिछड़ा वर्ग, नदी किनारे के परिवार शामिल हैं। खाना पकाने के लिए ईंधन ग्रामीण क्षेत्रों में एक समस्या है। चूल्हे पर खाना पकाने से महिलाओं को सांस लेने संबंधी बीमारी होने का खतरा सदैव बना रहता था। इस बात को ध्यान में रखते हुए गांव को प्रदूषण मुक्त रखने और महिलाओं को सांस संबंधी बीमारियों से मुक्ति देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू गई, लेकिन इस योजना का लाभ गरीब जनता इसलिए नहीं उठा पा रही है, क्योंकि गैस सिलेंडर इतना महंगा हो गया है कि वे गैस सिलेंडर खरीदने की स्थिति में नहीं हैं। 

सिलेंडर के दाम 1000 रुपए तक पहुंच गया है, ऐसे में 1000 रुपए का गैस सिलेंडर खरीदने की क्षमता गांव के अधिकांश लोगों की नहीं रह गई है, इसलिए गांव में फिर से पहले की तरह चूल्हे जलने शुरु हो गए हैं। केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी भी अब नहीं मिल रही है। उज्ज्वला योजना के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में सिलेंडर का उपयोग बढ़ने की वजह से घरों में चूल्हे नहीं जलाए जाने लगे थे। लेकिन जब गैस सिलेंडर के भाव बढ़ने का अंतहीन सिलसिला शुरू हुआ तो गरीब किसानों, खेतिहर मजदूरों, मजदूरों के घर का आर्थिक बजट बिगड़ गया और लोगों ने निर्णय लिया कि वे अब गैस सिलेंडर नहीं खरीदेंगे।  बेमौसम बारिश, कर्ज, बैंक वसूली, बिजली बिल के खर्च के बीच सिलेंडर के लिए 1000 रुपए खर्च उनके लिए संभव नहीं हो पा रहा है। गरीब परिवार पहले से ही बेहाल हैं, ऐसे में सिलेंडर की आसमान छूती कीमत ने गरीबों की कमर टूट तोड़ दी है। 

उज्ज्वला गैस योजना से घरेलू गैस मिली है, जिससे गांव में चूल्हे की जगह रसोई गैस पर खाना बनाना शुरु हो गया था। लेकिन गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ने से हमने फिर चूल्हे पर खाना बनाना शुरु कर दिया है। – उज्ज्वला शिंदे, गृहिणी।