नाशिक

Published: Jul 16, 2021 09:05 PM IST

Protestअपनी मांगों को लेकर जिला परिषद कर्मियों ने, काली पट्टी लगाकर किया आंदोलन

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नाशिक. नाशिक जिला परिषद (Nashik Zilla Parishad) के कर्मियों (Personnel) की विविध मांगों को लेकर जिला परिषद कर्मचारी महासंघ (Zilla Parishad Employees Federation) के माध्यम से काला फिता लगाकर आंदोलन (Protest) किया गया। इस दौरान कर्मियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) को अपर जिलाधिकारी दत्तप्रसाद नडे और जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवींद्र शिंदे, उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद पिंगले के माध्यम से ज्ञापन सौंपा।

अपनी मांगों को लेकर जानकारी देते हुए महासंघ के अध्यक्ष अरुण आहेर ने कहा, राज्य सरकारी, जिला परिषद, शिक्षक-शिक्षकेत्तर, चतुर्थ श्रेणी सेवक, अंशकालिन सेवकों की मांगों को लेकर विगत दो वर्षो से लगातार ज्ञापन देते हुए आंदोलन किया जा हा है। इसके बावजूद केंद्र और राज्य सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है, इसे लेकर कर्मियों में अक्रोश है। महामारी कि राष्ट्रीय आपदा निवारण कार्य में जिला परिषद के सभी कर्मियों ने अपनी जान का जोखीम उठाकर फ्रंट लाईन वर्कर के रूप में कार्य किया। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने आरोग्य विभाग को मजबूत करने के बजाए कोरोना महामारी की आड़ में निजी कंपनी को निजीकरण का ठेका दिया। सरकारी विभाग में करिब 40 प्रतिशत पद रिक्त है, जिस पर नियुक्ति करने के बजाए अतिरिक्त कार्य वर्तमान सेवकों के माध्यम से किया जा रहा है। देश में पेट्रोल, डीजल, गैस की कीमतों में वृद्धि होने से आम नागरिकों सहित राज्य सरकारी कर्मी परेशान है। केंद्र के माध्यम से जीएसटी संकलन का राज्य का करिब 40 हजार करोड़ का अपना हिस्सा नहीं मिला है। इसके खिलाफ कर्मियों ने आंदोलन करते हुए सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया।

आंदोलन में ये कर्मचारी मौजूद थे 

आंदोलन के दौरान कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अरुण आहेर, कार्याध्यक्ष डॉ. भगवान पाटिल, महासचिव महेंद्र पवार, प्रमोद निरगुडे, सचिन विंचुरकर, बापू चौरे, जी. बी. खैरनार, निवृत्ती बगड, रणजित पगारे, आर. पी. अहिरे, योगेश गोलेसर, किशोर वारे, विकी पिंगले, रवींद्र आंधले, सलीम पटेल, भास्कर कूवर, हेमंत मंडलिक, शेखर पाटिल, किरण निकम, विश्वास लव्हारे, ज्ञानेश्वर गायकवाड़, आर. डी. मोरे, नंदु अहिरे, डॉ. पणेर, साईनाथ ठाकरे, विलास शिंदे, मनोज रोटे, रविंद्र थेटे आदि उपस्थित थे।