नासिक

Published: Jan 25, 2023 06:27 PM IST

Petition Rejectedउच्च न्यायालय ने खारिज की बॉश कंपनी की याचिका, जानें क्या है मामला

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

सातपुर : औद्योगिक वसाहत (Industrial Colony) के बॉश कंपनी (Bosch Company) के ट्रेनी कर्मियों को घर में बिठाकर 15 दिनों का वेतन देने, अन्यथा संबंधित कर्मियों को काम उपलब्ध कराने का आदेश फरवरी 2022 में औद्योगिक न्यायालय (Industrial Court) ने दिया था, लेकिन कंपनी ने इस आदेश को उच्च न्यायालय (High Court) से स्थगिती प्राप्त की थी। इस संदर्भ में उच्च न्यायालय ने औद्योगिक न्यायालय का आदेश जैसे थे रखते हुए कंपनी की याचिका ठुकराई। उच्च न्यायालय में एड़. टी. के. प्रभाकर ने कर्मियों का पक्ष प्रभावी रूप से रखा। इसके बाद उच्च न्यायालय ने दिया हुआ आदेश कामगारों के पक्ष में देने की बात संबंधित कर्मियों ने कहीं। 

दीपावली में बॉश कंपनी के करीब 711 एइटीडब्ल्यू  कर्मियों का व्यवस्थापन ने अचानक काम बंद किया था। इसमें से 484 मजदूरों ने औद्योगिक न्यायालय में व्यवस्थापन और बॉश यूनियन के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया। कर्मियों को पूरा वेतन देने अथवा सेवा में शामिल करने का आदेश न्यायालय ने दिया। इस आदेश के खिलाफ व्यवस्थापन और बॉश यूनियन ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दर्ज की थी। इस पर 8 फरवरी 2022 को सुनवाई हुई। 

उच्च न्यायालय ने इन कर्मियों को अगली सुनवाई तक 15 दिनों का वेतन देने अथवा काम देने के आदेश दिए। इस आदेश के खिलाफ कंपनी ने उच्च न्यायालय में दौड़ लगाते हुए काम चलाऊ रूप से स्थगिती प्राप्त कि थी, लेकिन कंपनी की याचिका ठूकराते हुए कर्मियों को सेवा में शामिल करने के आदेश जैसे थे रखने का निर्णय लिया। इस अंतरिम आदेश के कारण कर्मियों की उम्मीदें जाग गई है। इस संदर्भ में कंपनी व्यवस्थापन अब क्या भूमिका लेता है? इस ओर औद्योगिक वसाहत का ध्यान लगा हुआ है। इस बारे में जानकारी लेने के लिए कंपनी व्यवस्थापन से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।