नासिक

Published: Apr 04, 2023 03:17 PM IST

Ramadan 2023मुस्लिम बहुल इलाकों के बाजारों में बढ़ी रौनक, खरीदारी के लिए उमड़ी भीड़

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नासिक : रमजान (Ramadan) मुसलमानों के अरबी महीनों में से एक महीना है, जिसे इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के अनुसार माह-ए-रमजान के नाम से जाना जाता है। इस महीने में मुसलमानों (Muslims) को रोजा रखना होता है, जो वे सवाब के लिए करते हैं। रमजान के महीने में सुबह से शाम तक रोजा (Roza) रखा जाता है, जिसमें मुसलमानों को भोजन, पानी या कोई भी अन्य खाद्य पदार्थ नहीं खाना होता है। इस महीने का अंत ईद-उल-फितर के दिन होता है, जो खुशी और उल्लास का दिन भी माना जाता है। इस्लाम में धर्म में सबसे पवित्र महीना के रूप में रमजान की गणना होती है। 

नासिक शहर में रमजान कर रौनक देखने लायक होती है। खासकर पुराना नासिक जैसे मुस्लिम बहुल इलाके में बाजार सजे हुए दिखते हैं। रमजान का महीना इस्लाम के वैश्विक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है। इस महीने में मुसलमान लोग रोज़े का पालन करते हुए समय का पालन करते हुए खुशी के साथ ईद उल फितर का त्योहार मनाते हैं

रमजान के दौरान मस्जिदों को भी बिजली और बैनरों से सजाया जाता है। शाम के समय सड़कों पर इफ्तार मंडी लगती है। मस्जिदों में जब लोग एक साथ रोजा खोलते हैं। परिवार और दोस्त एक साथ खाने के लिए मिलते हैं एक दूसरे को उपहार देते हैं। नासिक के मुस्लिम बहुल इलाकों में शाम को इफ्तार के समय फलों और विभिन्न खाद्य पदार्थों दुकानें लगती हैं। शाम 5 बजे से शहर के दूध बाजार, वडाला नाका, बागवान जैसे इलाकों में इफ्तार खरीदने वालों की चहल पहल रहती है। इफ्तार के बाद रात में तरावीह की विशेष नमाज के बाद लोग मंडियों में दिखाई देते हैं। बच्चों के लिए नए कपड़े और महिलाओं की खरीदारी के लिए दुकानें देर रात तक खुली रहती हैं।

महिलाएं पकवान के सामान खरीदने में व्यस्त रहती हैं। इस दौरान बाजारों में शीरखूरमा और सेवइयां खरीदने वालों की भी भीड़ उमड़ती है, इतना ही नहीं  सूखे मेवे, खजूर की बिक्री भी पहले की तुलना में बढ़ जाती है। शाम 5 बजे से ही इफ्तारी का सामान खरीदने के लिए भीड़ उमड़नी शुरु हो जाती है। महिलाएं घरों में भी विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे समोसे, भजिया, जलेबी और कोल्ड्रिंक्स घरों में ही बनाती हैं। रोजा रखने वाले लोग पूरे दिन प्यासे रहते हैं, इसलिए रोजा छूटने के बाद बाजारों में ठंडे शरबत की मांग बढ़ जाती है। रमजान के 10 रोजे पूरे हो चुके हैं। शव्वाल माह का चांद दिखाई देने के बाद 23 अप्रैल को ईद मनाई जाएगी।