नाशिक

Published: Jul 11, 2022 02:47 PM IST

Malnutritionकुपोषण के कहर पर लगाम जरूरी, शिशु मृत्यु दर घटाने पहल करें डॉक्टर

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नाशिक : ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण (Malnutrition) और बाल मृत्यु (Child Mortality) दर रोकना स्वास्थ्य व्यवस्था (Health System) के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन गई है। सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी डॉ. कृष्ण कुमार ने कहा कि इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए शहर में निजी डॉक्टरों (Doctors) और उनके संघों को पहल करना चाहिए। डॉ. कृष्ण कुमार डॉक्टर्स डे 2022 के अवसर पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) की नाशिक शाखा की ओर से आयोजित पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पारिवारिक चिकित्सा की अवधारणा को बनाए रखना बहुत जरूरी है। डॉ. कुमार ने कहा कि कुपोषण, शिशु मृत्यु दर वर्तमान में किसी चुनौती से कम नहीं है। इस चुनौती को देखते हुए डॉक्टरों को बाल मृत्यु दर को रोकने के लिए पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चिकित्सा पेशे में काम करना आसान नहीं है। इसमें काम करते समय कम कठिन समस्या सामने आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। 

पुरस्कार बाल रोगियों को समर्पित है

इस मौके पर डॉ. मृणाल पाटिल ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के पदाधिकारियों, सभी सहयोगियों और कर्मचारियों के सहयोग के बिना यात्रा करना असंभव है।  इस मौके पर डॉ. विनय चौधरी ने चिकित्सा क्षेत्र के अपने अनुभव साझा किए। इस मौके पर राजेंद्र मुलासे, डॉ. प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि मैं अपने पिता की उपस्थिति में पुरस्कार स्वीकार करते हुए बहुत खुश हूं। उन्होंने कहा कि मुझे मिला यह पुरस्कार बाल रोगियों को समर्पित है। कार्यक्रम में डॉ. महेश भिरुड, स्मिता मालपुरे, डॉ. प्रशांत देवरे, डॉ. सुधीर संकलेचा, डॉ. किरण शिंदे, डॉ. गीतांजलि गोंडकर, डॉ. माधवी मुथल, डॉ. अनिता भामरे, डॉ. पंकज भट्ट आदि उपस्थित थे। 

कार्यक्रम में आईएमए के अध्यक्ष डॉ. राजश्री पाटिल, सचिव डॉ. विशाल पवार ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस दौरान सांसद डॉ. अमोल कोल्हे ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया। कार्यक्रम में डॉ. चहांडे ने कहा कि शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता बहुत कम कम है।