नाशिक

Published: Jan 21, 2022 06:30 PM IST

Nashik Municipal Corporationनाशिक महानगरपालिका को हुआ 700 से 1000 करोड़ का नुकसान, ट्वीट के जरिए गृह मंत्री ने लगाया बड़ा आरोप

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नाशिक : राज्य के गृहनिर्माण मंत्री जितेंद्र आव्हाड (Jitendra Awhad) ने ट्वीट (Tweet) के जरिये  नाशिक महानगरपालिका (Nashik Municipal Corporation) के 700 से 1 हजार करोड़ रुपए के नुकसान का दावा किया है। इस मामले में उन्होंने जांच का आदेश दिया है।

जितेंद्र आव्हाड ने कहा है कि चार हजार स्क्वॉयर फीट (Square Feet) से अधिक के प्लॉट (Plot) पर निर्माण कार्य (Construction Work) करने के दौरान नियमानुसार 20 फीसदी प्लॉट या फ्लैट आर्थिक गरीब वर्ग के लिए आरक्षित रखना अनिवार्य है। निर्माण कार्य के पूरा होने का प्रमाणपत्र देने से पूर्व संबंधित घर गरीब वर्ग को बेचने के लिए म्हाडा के पास हस्तांतरित करना पड़ता है। इसके बावजूद पिछले आठ वर्षों में नाशिक महानगरपालिका ने दस घर भी हस्तांतरित नहीं किए। साथ ही महानगरपालिका पर बिल्डरों को मदद पहुंचाने का आरोप राज्य के गृह निर्माण मंत्री जीतेंद्र आव्हाड ने ट्वीट कर लगाया है। उन्होंने इसके जरिये 700 से 1000 करोड़ के नुकसान का दावा किया है। लेकिन इस मामले में महानगरपालिका ने सफाई दी है कि किसी भी तरह का गलत काम नहीं हुआ और न ही किसी तरह का नुकसान हुआ है। 

जितेंद्र आव्हाड ने किया ट्वीट

700 से 1000 करोड़ के नुकसान का आरोप

नवंबर 2013 के नियमानुसार विकास नियंत्रण नियमावली और दिसंबर 2020 से लागू की गई एकात्मिक विकास नियंत्रण और प्रोत्साहन नियमावली आर्थिक दृष्टि से गरीब वर्ग और लो इनकम ग्रुप के लिए फ्लैट उपलब्ध कराने के लिए यह नियम बनाया गया है। इस नियम के अनुसार 20 फीसदी प्लॉट या फ्लैट के निर्माण पूरा होने का प्रमाण पत्र मिलने के बाद महाराष्ट्र गृहनिर्माण और क्षेत्रविकास मंडल (म्हाडा) को हस्तांतरित करना पड़ता है। लेकिन नाशिक महानगरपालिका ने दस घर भी हस्तांतरित नहीं किए और बिल्डरों को निर्माण कार्य पूरा होने का प्रमाणपत्र दे दिया। यह बड़ा अपराध है। इससे 700 से 1000 करोड़ का नुकसान हुआ है। मुंबई, ठाणे, पुणे शहरों में म्हाडा ने बड़े पैमाने पर लॉटरी निकाली। नाशिक में म्हाडा के पास घर हस्तांतरित नहीं किए जाने से संदेह बढ़ गया। इसके तहत साढ़े तीन हजार घर हस्तांतरित नहीं करके आपस में मिलकर बेचने का संदेह गहराया। 2013 से 2021 तक म्हाडा ने महानगरपालिका के पास 22 बार पत्र व्यवहार किया। लेकिन एक भी पत्र का जवाब नहीं मिलने से नवंबर 2021 में गृह निर्माण मंत्री ने महानगरपालिका के अधिकारियों की बैठक बुलाई। इसके बाद भी जानकारी देने में टालमटोल करने का दावा जितेंद्र आव्हाड ने किया है।