नाशिक
Published: Feb 25, 2021 06:47 PM ISTपरीक्षणस्वाब के नमूने परीक्षण के लिए भेजा पुणे, जानें क्यों?
नाशिक. स्वास्थ्य प्रणाली अभी तक वायरस (Virus) की प्रकृति का पता नहीं लगा पाई है, जो वर्तमान में जिले में लोगों को प्रभावित कर रहा है। वायरस की अनुवांशिक रचना का पता लगाने कुछ संक्रमित स्वाबों के नमूने को परीक्षण के लिए पुणे भेजा गया है। वायरस, जो ब्रिटेन (Britain) , दक्षिण अफ्रीका (South Africa) और ब्राजील (Brazil) जैसे देशों में पाया गया है, उस पर जिले में स्वास्थ्य अधिकारियों की नजर है। कोरोना वायरस को नियंत्रित करने में जिला प्रशासन (District Administration) सफल रहा है। वहीं सक्रिय मरीजों की संख्या को शून्य करने की योजना बना रहा है।
माना जा रहा है कि वायरस जो राज्य के नागरिकों के लिए नया संक्रामक है, वह ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसे देशों से आया है। हालांकि वायरस अमरावती, यवतमाल और सातारा जैसे जिलों में कोरोना बाधितों का विदेशों से कोई संबंध नहीं है।
हाई अलर्ट पर स्वास्थ्य एजेंसियां
वायरस के एक अलग रूप की रिपोर्ट के बाद अमरावती में स्वास्थ्य एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। कुछ जिलों से फिर से नमूने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेल साइंस के पास परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने से नाशिक में भय बढ़ा है। इस संबंध में जिला कलेक्टर सूरज मांढरे के निर्देश पर जिला सर्जन और जिला चिकित्सा अधिकारी ने पुणे के प्रयोगशाला में 20 नमूने भेजे और स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया। यह वायरस विदेश से है, इसलिए यह अपने आनुवंशिक रचना में परिवर्तन को सामने लाने में मदद करेगा।
रिपोर्ट 8 दिनों में मिलने की उम्मीद
स्वाब की रिपोर्ट 8 दिनों में मिलने की उम्मीद है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार जैसी बीमारी वैसी दवा, इस नियम के अनुसार काम करने पर विषाणु की रचना को सामने लाने में मदद मिलेगी।
बिना मास्क कलेक्ट्रेट में प्रवेश नहीं
उधर, कलेक्ट्रेट में बिना मास्क के पाए गए अधिकारियों, कर्मचारियों और आने जाने वालों को 1000 रुपए जुर्माना देना होगा, जबकि मनपा द्वारा शहर में जुर्माना एकत्र किया जा रहा है। यह आश्चर्यजनक है कि कलक्ट्रेट में बिना मास्क के पाए जाने वाले नागरिकों का जुर्माना सामान्य शाखा तहसीलदारों द्वारा वसूला जाएगा। कलेक्ट्रेट परिसर में भी नाशिक महानगरपालिका ही जुर्माना वसूल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह जिम्मेदारी तहसीलदार को सौंपी गई है। जिला कलेक्टर ने सरकारी वसूली पुस्तक को सौंपने का आदेश दिया है और सरकार को भुगतान करने की व्यवस्था करने का भी आदेश दिया है।