नासिक

Published: Jan 23, 2023 05:54 PM IST

Warrant Issuedजिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ वारंट जारी, जानें पूरा मामला

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
File Photo

नासिक : जिले के इगतपुरी तहसील (Igatpuri Tehsil) में कुछ दिन पहले आदिवासी कातकरी समुदाय (Tribal Katkari Community) के नाबालिग बच्चों (Minor Children) को कुछ हजार रुपए में बेचा था। जब इस बारे में पुलिस (Police) ने गहन पूछताछ की तो पता चला कि वहां देह व्यापार (Prostitution) का धंधा चलता था। इसके बाद पूरे प्रदेश में सनसनी फैल गई। नासिक जिले के पूर्व पालक मंत्री और विधायक छगन भुजबल ने नागपुर में हुए शीतकालीन सत्र में इस मामले में सरकार का ध्यान खींचा था, उस वक्त भुजबल ने कहा था कि अहमदनगर जिले के संगमनेर और पारनेर तहसील के छह बच्चों को एक भेड़ और दो हजार रुपये में खरीदा गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया और उनसे मजदूरी भी ली गई। उक्त दुर्व्यवहार के मामले में विभिन्न पुलिस स्टेशन में अपराध दर्ज किए गए। 

उन्होंने कहा कि लापता बच्चों और फरार आरोपियों का पता लगाने के लिए जिम्मेदार एजेंसियों की ओर से देरी की जा रही है, इसके बाद, केंद्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने नासिक और अहमदनगर के जिला अधिकारी के साथ-साथ पुलिस अधीक्षकों के खिलाफ नाबालिग बच्चों के अपहरण मामले में गवाह के रूप में पेश न होने के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इसके अनुसार, आयोग ने 2 जनवरी, 2023 को नासिक के जिला अधिकारी गंगाधरन डी, अहमदनगर के जिला अधिकारी राजेंद्र भोसले, नासिक के ग्रामीण पुलिस अधीक्षक शाह जी उमाप, अहमदनगर के पुलिस अधीक्षक राकेश ओला इन सभी अधिकारियों को समन जारी किया था, फिर 9 जनवरी को चारों को आयोग के सामने गवाह के तौर पर पेश होकर इस मामले में अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया तो आयोग ने सीधे पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा। 

क्या है मामला?

इगतपुरी तहसील के उवाडे गांव में आदिवासी कातकरी समुदाय के एक परिवार को अपने बच्चों को बेचने का लालच दिया गया था। मामला तब सामने आया जब उनमें से एक की हत्या कर दी गई। कुछ पीड़ितों के बयानों के मुताबिक, संगमनेर पुलिस ने दो अलग-अलग मामले दर्ज किए थे। एक अपराध पारनेर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, इसके मुताबिक पुलिस ने नाशिक और अहमदनगर में जांच शुरू की। इन मामलों में संदिग्धों की गिरफ्तारी भी हुई थी, लेकिन उसके बाद जब अदालती कार्यवाही के दौरान संबंधित अधिकारियों के मौजूद रहने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन वे वहां उपस्थित नहीं हुए, उसके बाद राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग ने सभी संबंधित अधिकारियों को वारंट जारी किया।