नाशिक

Published: May 25, 2021 08:10 PM IST

Economic Crisisभुखमरी के कगार पर आ गये है श्रमिक, टॉकीज के मालिकों को आर्थिक सहायता दें CM

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

पुराना नाशिक. राज्य में कोरोना (Corona) की वजह से लॉकडाउन (Lockdown) लगाया गया है। इसने शहरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोगों को आर्थिक संकट (Economic Crisis) में डाल दिया है और लोगों को दैनिक रोजगार एक गंभीर विषय बन गया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) को टूरिंग टॉकीज के मालिकों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है। 

नीरज बबन कांबले, मोहम्मद नवरंगी, संजय धडवे, शौकत पठान, नारायण डावरे, एकनाथ हिवरेले, अयाज शेख, नितिन सिंह, विलास बरगे और विदर्भ, मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र के कई टूर टॉकीज चालक कम से कम 2 लाख रुपये के अनुदान की मांग कर रहे हैं। लॉकडाउन के कारण फंसे हुए श्रमिकों के लिए भुखमरी का समय आ गया है।

लॉकडाउन होने से आर्थिक समस्याएं बढ़ीं

फिल्म लगाने से लेकर कर्मचारियों की सैलरी तक सब कुछ इसी पर निर्भर करता है, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए दीवाली के बाद टूरिंग टॉकीज शुरू होगी और कारोबार सुचारु रहेगा, ऐसी उम्मीद टॉकीज चालकों द्वारा लगाई जा रही थी। 12 से 15 महीने तक टूरिंग टॉकीज से बड़ी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। टूरिंग टॉकीज के लिए महंगी फिल्में किराए पर लेने की जरूरत नहीं है और अन्य उपकरण ईएमआई के आधार पर लिए जाते हैं। टूरिंग टॉकीज को वित्तीय पैकेज जैसी सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं।

1931 में हुई थी टूरिंग टॉकीज की शुरुआत

टूरिंग टॉकीज की शुरुआत 1931 में मुंबई में हुई थी। ब्रिटिश शासन के दौरान पहली टूरिंग टॉकीज शापूरजी (पारसी) के स्वामित्व वाली बॉम्बे टूरिंग टॉकीज थीं। दादा कोंडके, अलका कुबल और अशोक सराफ की फिल्म यहां चलाई गई थी। वहीं इस नए कॉन्सेप्ट को दर्शकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिला था लेकिन मोबाइल/इंटरनेट के आगमन के साथ टूरिंग टॉकीज का कारोबार कम होने लगा। आज भी टूरिंग टॉकिज से कई परिवार चलते हैं, जिनमें वितरक/संचालक, द्वारपाल, टिकट क्लर्क आदि शामिल हैं। यह धंधा कई जगह आर्थिक गणित को बढ़ावा देता है, राजस्व सरकार के पास जाता है लेकिन अब तथ्य यह है कि इस व्यवसाय का भविष्य अंधकार में देखा जा रहा है।