महाराष्ट्र

Published: Jun 29, 2021 10:17 PM IST

Illegal constructionअवैध निर्माण के कारण लोग मरते नहीं रह सकते: बॉम्बे हाई कोर्ट

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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मुंबई. बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने मंगलवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) और नगर निकायों द्वारा अवैध निर्माण (Illegal Construction) को रोकने में विफलता के कारण लोग “मरते नहीं रह सकते।” मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी की पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पिछले वर्ष भिवंडी में एक भवन ढहने के बाद अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले पर सुनवाई की। इस वर्ष मलाड में एक भवन के ढहने और इसमें आठ बच्चों सहित 12 लोगों की मौत के बाद उसने फिर से याचिका पर सुनवाई शुरू की।

पीठ ने जांच आयुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जे. पी. देवधर की तरफ से पेश प्रारंभिक रिपोर्ट पर गौर किया। पिछली सुनवाई में उच्च न्यायालय ने न्यायिक जांच के लिए उनकी नियुक्ति की थी। रिपोर्ट के मुताबिक मलाड का भवन मूलत: एक मंजिला था, जिसे उसके मालिक ने अवैध रूप से तीन मंजिला कर लिया। जांच आयुक्त ने अवैध निर्माण से निपटने की समस्या के लिए अनुशंसाएं भी की हैं।

उच्च न्यायालय ने सरकार और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) से रिपोर्ट पर गौर करने और जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। न्यायाधीशों ने बीएमसी के वकील आसपी चिनॉय से कहा, “(जांच) आयुक्त ने सभी सवालों के जवाब और स्वतंत्र अनुशंसाएं कर दी हैं… आपको अदालत को बताना है कि अनुशंसाओं का कौन सा हिस्सा स्वीकार्य है।”

अदालत ने कहा, “हमें बताइए कि बेतरतीब अवैध निर्माण के खतरे को समाप्त करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। कानून के प्रति हर किसी को जिम्मेदार होना पड़ेगा…कृपया अपने अधिकारियों से कहिए कि इन मामलों को गंभीरता से लें। कई भवन ढह गए। कड़ी निगरानी रखनी होगी। अवैध निर्माण के कारण लोग मरते नहीं रह सकते।” (एजेंसी)