पुणे

Published: Feb 08, 2022 06:10 PM IST

PMC Election 2022पुणे में कांग्रेस को भाजपा का झटका, वरिष्ठ नेता अरविंद शिंदे के भतीजे बीजेपी में शामिल

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

पुणे: जैसे-जैसे महानगरपालिका चुनाव की तारीखें नजदीक आती जा रही हैं, सभी दलों द्वारा दूसरी पार्टियों में सेंधमारी का दौर भी शुरू हो गया है। एक दूसरे के दल में तोड़-फोड़ शुरू कर दी गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नगरसेवक अरविंद शिंदे के भतीजे प्रणय शिंदे बीजेपी में शामिल हो गए है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकात पाटिल की उपस्थिति में प्रणय शिंदे (Pranay Shinde) ने भाजपा में प्रवेश किया। प्रणय शिंदे को अपनी पार्टी में शामिल करा कर भाजपा ने अरविंद शिंदे को बड़ा झटका दिया है।

पांच साल को छोड़ दें तो अरविंद शिंदे साल 1997 से लगातर पुणे स्टेशन वार्ड से लगातार पुणे महानगरपालिका में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस दौरान वे स्थायी समिति के अध्यक्ष, विपक्ष के नेता और सदन के नेता रह चुके हैं। हाल ही में उन्होंने कसबा निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था पर हार गए थे। इस बार वे पुणे स्टेशन-ताड़ीवाला रोड निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं। उनके वार्ड में कांग्रेस के 3 सदस्य और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के एक सदस्य चुनकर आए हैं।

झगड़ा या समझौता!

प्रणय शिंदे के भाजपा में प्रवेश से राजनैतिक गलियारों में तीखी बहस छिड़ गई है। ‘परिवार में झगड़ा’ या परिवार के किसी ‘अन्य सदस्य’ को महानगरपालिका में भेजने के लिए समझौता? इस तरह की चर्चा शुरू हो गई है। जबकि नवगठित वार्ड में शिंदे के वार्ड में तोड़-फोड़ की गई है। खासकर पुणे स्टेशन क्षेत्र के 8 हजार से अधिक शिंदे को मानने वाले मतदाता वार्ड नं.19, रास्ता पेठ – केईएम अस्पताल से अटैच कर दिए गए हैं। इस वार्ड से बीजेपी के सदन के नेता गणेश बिडकर चुनाव लड़ेंगे। 

वार्ड परिसीमन ने बिगाड़ा खेल

वर्तमान में इस निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस का कोई बड़ा उम्मीदवार नहीं है। इसके अलावा, बीजेपी के पास भी बिडकर के अलावा कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं है। जनसमर्थन वाला हिस्सा टूटने के बाद तीन सदस्यीय चुनाव में वार्ड नं. 20 पुणे स्टेशन- ताड़ीवाला रोड इलाके से शिंदे के लिए यह चुनाव आसान नहीं रहा है। इस पृष्ठभूमि में वार्ड नं. 19 रास्ता पेठ-केईएम अस्पताल से बीजेपी चुनाव जीते, इसलिए प्रणय शिंदे को भाजपा में तो नहीं भेजा गया है। ऐसी चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में शुरू हो गई है।