पुणे

Published: May 15, 2021 08:14 PM IST

Black Fungusपिंपरी-चिंचवड़ में बढ़ रहा ब्लैक फंगस का खतरा, अब तक मिले 75 से ज्यादा मरीज, 12 मौतें दर्ज

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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पिंपरी. कोरोना (Corona) से स्वस्थ होने के बाद ‘ब्लैक फंगस’ (Black Fungus) यह फंगल इंफेक्शन की बीमारी बढ़ रही है। कोरोना के साईड इफेक्ट (Side Effect), शरीर में कमजोर रोगप्रतिकारक शक्ति से यह बीमारी बढ़ रही है। इसका खतरा पिंपरी-चिंचवड शहर में (Pimpri-Chinchwad City)  भी बढ़ गया है। आंकड़ों की मानें तो शहर में अब तक इस बीमारी में 75 से ज्यादा मरीज मिले हैं, जबकि 12 लोगों की मौतें (Death) दर्ज हुई है। वाईसीएम हॉस्पिटल रोजाना चार ऑपरेशन हो रहे हैं। समय पर इलाज किया गया तो इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है। इसलिए लक्षण नजर आते ही डॉक्टर को दिखाने या हॉस्पिटल में एडमिट होने की अपील विशेषज्ञों द्वारा की गई है। 

पिंपरी-चिंचवड शहर के लिए कोरोना की दूसरी लहर भयंकर साबित हुई। इसमें मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी और 30 से 40 उम्र के कई लोग इसकी चपेट में आए। इस दूसरी लहर ने अपरिमित हानि पहुँचाई। अब जब ये लहर स्थिर हो रही है तब नवीन संकट खड़ा हुआ है। कोरोना से स्वस्थ होने के बाद कुछ लोगों में ‘ब्लैक फंगस’ नामक इंफेक्शन की बीमारी जड़ रही है। धीरे-धीरे ये बीमारी बढ़ रही है, पिंपरी-चिंचवड़ में अब तक 75 से ज्यादा मरीज इस बीमारी के मिले हैं। वाईसीएम, आदित्य बिर्ला और डॉ. डी.वाय पाटील हॉस्पिटल में इस बीमारी से ग्रस्त मरीज हैं। वाईसीएम में अब तक 8 और निजी अस्पतालों में 4 कुल 12 मरीजों की मौत हुई है। वहीं कुछ लोगों को अपनी आंखें भी खोनी पड़ी है। 

ब्लैक फंगस एक कवक रोग

वायसीएम हॉस्पिटल में अधिष्ठाता डॉ. राजेंद्र वाबले ने बताया कि ब्लैक फंगस एक कवक रोग है। इस बीमारी के सभी मरीज कोरोना हैं। इनमें से ज्यादातर मरीज मध्यम, गंभीर थे। उन्हें अस्पताल से छुट्टी के बाद कुछ दिनों तक उपचार, गोलियां, दवाएं, उपचार की प्रतिक्रिया और गोलियां जारी रखनी पड़ती हैं। कुछ गोलियों को डेढ़ महीने तक जारी रखने की जरूरत है। यह रोग तब होता है जब इन दवाओं का सही तरीके से सेवन नहीं किया जाता है। जब रक्त के थक्के बनते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। शरीर के कमजोर हिस्से में फंगस लग जाता है। यह कवक मुंह और नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। शहर का सबसे कमजोर हिस्सा चेहरा है। नाक, आंख कमजोर होती है। इसके माध्यम से कवक शरीर में प्रवेश करता है। उपचार के दुष्प्रभाव होते हैं। 

स्वस्थ आहार लें, खूब पानी पिए

यदि आपको मधुमेह है, तो आपका रक्त शर्करा उच्च है। ऐसी जगहों पर फंगस तुरंत फैल जाता है। अब तक म्यूकर माइकोसिस के 50 मरीजों को वाईसीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनमें से कुछ को छुट्टी दे दी गई है, तो इस बीमारी से आठ लोगों की मौत हो गई। फंगस आंख के सॉकेट से होते हुए मस्तिष्क तक पहुंच जाता है, जिससे मौत हो गई है।  कोरोना मुक्त मरीजों को नियमित रूप से गोलियां और दवाएं लेनी चाहिए। इसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए।  स्वस्थ आहार लें। खूब पानी पिए, तो प्रतिरक्षा प्रणाली क्रम में रहती है। बीमारी के लक्षणों में तेज सिरदर्द, हल्का बुखार, गालों ओर सूजन या बधिर होने, नाक बहना, ऊपरी जबड़े के दांत हिलने आदि है। इन्हें नजरअंदाज न करें, तुरन्त डॉक्टर को दिखाएं, यह अपील भी उन्होंने की है।