पुणे

Published: May 09, 2021 04:31 PM IST

Corona Warrior9 माह में 14 बार प्लाज्मा दान करनेवाला कोरोना योद्धा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

पुणे. कोरोना (Corona) के गंभीर मरीजों के इलाज में प्लाज्मा (Plasma) की बड़ी अहमियत है, इसलिए प्लाज्मा दान रक्तदान के समान ही एक परोपकार माना जा रहा है। कोरोना के इलाज में कारगर साबित रहने से सरकार और प्रशासन लगातार कोरोना के संकट से उबर चुके लोगों से प्लाज्मा दान की अपील कर रहा है, जागरूकता ला रहा है। पिंपरी-चिंचवड़ (Pimpri-Chinchwad) में तो मनपा की ओर से प्लाज्मा दान के लिए दो हजार रुपए की इनामी योजना भी घोषित की गई है। इसके बावजूद प्लाज्मा दान को लेकर लोगों चाहिए वैसा उत्साह नजर नहीं आ रहा है। 

पुणे समेत पूरे देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ है। महामारी में लाखों लोगों की जिंदगी दांव पर लगी है। जहां लोग अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो। दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान भी दांव पर लगाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। ऐसी ही एक शख्सियत पुणे से है, जिसने प्लाज्मा दान कर कई लोगों को नई जिंदगी दी है। इस शख्स ने 14 बार प्लाज्मा डोनेट करने का रिकॉर्ड बनाया है। इस शख्सियत का नाम अजय मुणोत है जिन्हें रक्तदान और प्लाज्मा दान की प्रेरणा अपनी मां से मिली है। 

अब तक वैक्सीन भी नहीं लगवाई

पुणे शहर के रहिवासी 50 वर्षीय अजय मुनोत अब तक 14 बार अपना प्लाज्मा दान कर चुके हैं। उनके शरीर में लगातार बन रही एंटीबॉडी को दान कर लोगों की जान बचाने का उनमें ऐसा जज्बा है कि उन्होंने अब तक वैक्सीन भी नहीं लगवाई, ताकि वो प्लाज्मा दान करते रह सकें। मीडिया एजेंसी से बातचीत में अजय मुनोत ने कहा कि वे गत साल जुलाई 2020 में कोरोना संक्रमित हुए थे। इसके बाद से वे लगातार लोगों की मदद के लिए प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं। इन नौ माह में वे करीब 14 बार ब्लड बैंक को अपना प्लाज्मा डोनेट कर चूके हैं। 

 मां से मिली प्रेरणा

उन्होंने कहा कि, जब तक उनके शरीर में एंटीबॉडी बनती रहेगी, तब तक प्लाज्मा दान करते रहेंगे। आमतौर एक स्वस्थ आदमी 14 दिनों के अंतराल में अपना प्लाज्मा दान कर सकता है। अजय की मां ओ निगेटिव ब्लड डोनर थी। ऐसे ब्लड ग्रुप वालों को यूनिवर्सल डोनर कहा जाता है। उन्हें अधिकतर पुणे के आर्मी आफिस से रक्तदान करने के लिए फोन आते रहते थे। जब भी वे अपना रक्तदान करने जाती थीं तो उनके साथ जाता था। तब उन्होंने प्रण लिया था कि मैं भी भविष्य में ऐसा ही कुछ करुंगा, जिससे लोगों की जान बचाई सके। आज अपनी मां से ही प्रेरणा लेकर अपना प्लाज्मा दान कर रहा हूं। 

मेरे मित्र प्लाज्मा बैंक के नाम से पुकारने लगे 

उन्होंने कहा कि मेरे करीबी मित्र और रिश्तेदार अब मुझे प्लाज्मा बैंक के नाम से पुकारने लगे हैं। अजय ने बताया कि जब वे कोरोना संक्रमित हुए थे तब वे काफी घबरा गए, लेकिन परिवार के सदस्यों की हिम्मत से ठीक हो गया। उन्होंने अभी तक वैक्सीन इसलिए भी नहीं लगवाई, ताकि लोगों को प्लाज्मा दान कर सकूं। अजय संयुक्त परिवार से हैं उनके परिवार में 11 सदस्य है। सभी लोग उन्हें इस नेक काम में सहयोग कर रहे हैं। उनकी पत्नी मेरे खानपान का विशेष ध्यान रखती है। परिवार के सहयोग के बगैर इतना कुछ नहीं कर सकना संभव न था। आज कोरोना महामारी के इस दौर में लोगों को एक दूसरे के साथ ही जरुरत है। इसलिए अपने वीडियों और अनुभव के आधार पर लोगों को प्लाज्मा और रक्तदान करने के लिए के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं।