पुणे

Published: Jan 08, 2023 02:43 PM IST

Handa Morchaपुणे में समुचित जलापूर्ति के लिए 'हांडा मोर्चा' की तैयारी, बीजेपी विधायक हो सकते हैं शामिल

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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पुणे : भले ही कोथरुड और शिवाजीनगर निर्वाचन क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) (बीजेपी) के विधायक (MLA) हैं, लेकिन अब वे हांडा मोर्चा (Handa Morcha) निकालने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि उनके क्षेत्रों में पानी (Water) की उचित आपूर्ति (Supply) नहीं है। पालक मंत्री चंद्रकांत पाटिल के करीबी बीजेपी प्रवक्ता संदीप खारडेकर 15 दिनों से अधिक समय से अपने एरंडवने, नल स्टॉप चौक इलाके में सुचारू जलापूर्ति सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन प्रशासन ने उनकी कोशिशों पर अभी तक सकारात्मक भूमिका नहीं अपनाई है। 

72 घंटे का अल्टीमेटम 

पुणे के कई इलाकों में अपर्याप्त और निम्न दबाव की जलापूर्ति के कारण जल संकट उत्पन्न हो गया है। इसलिए खारडेकर ने चेतावनी दी है कि अगर अगले 72 घंटों में पानी की आपूर्ति सुचारू रूप से शुरू नहीं हुई तो वे हांडा मार्च निकालकर इसका विरोध करेंगे। इस संबंध में प्रवक्ता संदीप खारडेकर ने नगर आयुक्त और प्रशासक विक्रम कुमार को पत्र दिया है। 

कम दबाव से परेशान हैं लोग 

नल स्टॉप, सहकार वसाहट, पंडित नेहरू वसाहत, गणेश नगर और एरंडवने इलाके के निवासी पानी की आपूर्ति के कम दबाव के कारण परेशान हैं। जब स्थानीय अधिकारियों और कर्मचारियों से इस बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने कहा कि एसएनडीटी टैंक का स्तर कम नहीं होने और एलएंडटी कंपनी ने छह इंच की पानी की लाइन को जोड़ने का काम पूरा नहीं किया, इसलिए थोड़े समय के लिए पानी कम दबाव के साथ आ रहा था। 

नागरिकों को डराने के बजाय शिक्षित करें 

इस संबंध में 15 दिन पहले जल आपूर्ति विभाग के प्रमुख अनिरुद्ध पावस्कर से विस्तृत चर्चा के बाद उन्होंने इस मसले का तत्काल समाधान करने पर सहमति जताई थी। लेकिन अभी तक जलापूर्ति सुचारू नहीं की जा सकी है। इसलिए, अगर अगले 72 घंटों में आपूर्ति सुचारू नहीं हुई, तो खारडेकर ने हांडा मार्च निकालने की चेतावनी दी है। साथ ही समान जलापूर्ति योजना के तहत मीटर लगाने के बाद नोटिस भेजा जा रहा है, जिसमें लिखा है कि आप पानी की अधिक खपत कर रहे हैं और आपके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पावस्कर से हुई चर्चा के अनुसार नागरिकों से भी सहयोग करने की अपील की गई है।  हालांकि, खारडेकर ने नागरिकों को डराने के बजाय यह भी मांग की कि प्रशासन को उन्हें शिक्षित करने का प्रयास करना चाहिए।