महाराष्ट्र

Published: Mar 24, 2021 12:56 PM IST

Maharashtra Crisisशिवसेना का संगीन आरोप- BJP का सपना, महाराष्ट्र में हो राष्ट्रपति शासन लागू

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मुंबई. शिवसेना (Shivsena) ने बुधवार को आरोप लगाया कि भाजपा का ‘‘मुख्य उद्देश्य” राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) लागू करवाकर महाराष्ट्र में अस्थिरता पैदा करना है। पार्टी ने महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार को कमजोर करने के लिए भाजपा और कुछ अधिकारियों के बीच ‘‘सांठगांठ” का आरोप भी लगाया। इसके अलावा, शिवसेना ने ‘‘फोन टैपिंग प्रकरण” और डीजी रैंक के अधिकारी संजय पांडे द्वारा निराशा जाहिर किए जाने का भी जिक्र किया। वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने मंगलवार को दावा किया था कि तत्कालीन खुफिया आयुक्त रश्मि शुक्ला द्वारा इजाजत लेकर फोन रिकॉर्ड किए गए थे और कॉल पर की गई बातचीत का ‘6.3 जीबी डेटा’ उनके पास है जिसमें कई अहम पुलिस अधिकारियों के नामों पर चर्चा की गई थी।

उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री से भी मुलाकात की और महाराष्ट्र में पुलिसकर्मियों के तबादलों में ‘‘भ्रष्टाचार” की सीबीआई जांच कराने की मांग की। शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ (Saamana) में छपे संपादकीय में कहा कि यह साफ है कि महाराष्ट्र की छवि धूमिल करने के ‘‘षडयंत्र” के पीछे भाजपा है। पार्टी ने विपक्षी दल द्वारा आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह के पत्र में राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोपों और अन्य मुद्दों का जिक्र किया। शिवसेना ने कहा, ‘‘जिन्हें परमबीर सिंह का पत्र इतना महत्वपूर्ण लग रहा है उन्हें पुलिस अधिकारी अनूप दांगे के साथ भी न्याय करना चाहिए जिन्होंने सिंह के बारे में लिखा था। राज्य के लोग जानते हैं कि क्यों और किसलिए भाजपा यह सब कर रही है।”

उसने कहा, ‘‘भाजपा का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपति शासन लागू करवाकर महाराष्ट्र में अस्थिरता पैदा करना है।” मुंबई पुलिस के निलंबित इंस्पेक्टर दांगे ने आरोप लगाया था कि परमबीर सिंह ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक के पद पर रहने के दौरान अंडरवर्ल्ड के कुछ लोगों को बचाने की कोशिश की थी। शिवसेना ने ‘‘हैरानी” जताई कि देशमुख के खिलाफ आरोप लगाने के बावजूद सिंह सेवा में बने हुए हैं। पार्टी ने सवाल उठाया कि उच्चतम न्यायालय का रुख करने और देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच कराने की मांग करने के बाद भी सिंह के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। शिवसेना ने कहा कि परमबीर सिंह और पांडे जैसे अधिकारियों ने ‘‘राज्य सरकार के बारे में संदेह का माहौल पैदा” करने के वास्ते मीडिया को अपने पत्र लीक किए।

उसने कहा, ‘‘फडणवीस फोन टैपिंग रिपोर्ट लेकर केंद्र के पास गए जो सुबोध जायसवाल और रश्मि शुक्ला जैसे वरिष्ठ अधिकारियों ने राज्य सरकार को अंधेरे में रखकर तैयार की।” शिवसेना ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि राज्य प्रशासन में काम कर रहे ये लोग एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। विपक्षी पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र सरकार को कमजोर करने के लिए इन अधिकारियों से सांठगांठ है।”