महाराष्ट्र

Published: Feb 20, 2024 07:58 AM IST

Maharashtra Assembly Session आज से महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र, क्या शिंदे सरकार मानेगी मनोज जारांगे की बात, होगा मराठा समुदाय के लिए कानून पारित!

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली/मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) से मिली एक बड़ी खबर के अनुसार यहां आज से विधानसभा का विशेष सत्र (Vidhan Sabha Session) शुरू होगा। कयास यह भी हैं कि शिंदे सरकार (Shinde Goverment) इस विशेष सत्र में मराठा आरक्षण पर कमेटी (Maratha Reservation) की रिपोर्ट सदन में पेश कर सकती है।दरअसल मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल द्वारा एक और अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने के बाद, आरक्षण के संबंध में महाराष्ट्र विधानसभा का एक विशेष सत्र इस सप्ताह के अंत में बुलाए जाने की प्रबल संभावना थी।

जब मनोज जारांगे ने बनाया शिंदे सरकार पर दबाव 

पता हो कि, बीते शनिवार 17 फरवरी को, कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने मराठा आरक्षण के लिए दबाव बनाने के लिए महाराष्ट्र के जालना जिले में अपने गांव, अंतरवाली-सरती से एक और अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी।इस बाबत पाटिल ने यह भी मांग की थी कि राज्य सरकार अगले दो दिनों में ही एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाए। उन्होंने कहा था कि , “राज्य सरकार द्वारा मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए दिए गए मसौदा अधिसूचना को लागू करने के लिए इसे विशेष विधानसभा सत्र में लाकर इस पर कानून बनाया जाना चाहिए।”

यह है मनोज जारांगे की मांगें

पाटिल ने यह भी मांग की थी कि राज्य सरकार मराठा समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दायर सभी मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करे। इससे पहले पाटिल ने अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की घोषणा करते हुए कहा था , “फिर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने की बहुत जरूरत है। आरक्षण के लिए कानून लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है। यह कानून मराठा समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।”

‘महा दिवाली’ की घोषणा 

उन्होंने यह भी कहा था कि जब एक बार जब उन्हें आरक्षण का प्रमाण पत्र मिल जाएगा, तो वे एक विजय रैली करेंगे और उस दिन को ‘महा दिवाली’ के रूप में मनाया जाएगा। दरअसल जारंगे पाटिल के नेतृत्व में मराठा समुदाय OBC श्रेणी के तहत शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है। हालाँकि, कुंबी श्रेणी के तहत आरक्षण की गारंटी पर महाराष्ट्र सरकार के अंदरूनी घटकों में आपत्ति है और वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने भी इसका विरोध किया है।