ठाणे
Published: Nov 07, 2021 10:02 PM ISTChhath Puja 2021 दिवाली के बाद उल्हासनगर, अंबरनाथ और कल्याण में छठ पूजा की तैयारी
उल्हासनगर : डेढ़ साल से कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से जुझते हुए समाज को दिवाली (Diwali) के बाद अब छठ पुजा (Chhath Puja) जैसे त्योहार मनाने का अवसर प्राप्त हुआ है। उल्हासनगर (Ulhasnagar) निवासी (Residents) भी उल्हास नदी के किनारे इकट्ठा होकर इस त्यौहार का स्वागत करने जूटते है।
हिंदू पंचांग (Hindu Calendar) के अनुसार, छठ पूजन त्यौहार हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि पर मनाया जाता है। यह हमेशा दीपावली के 6 दिन बाद पड़ता है। जो नहाय खाय की परंपरा से प्रारंभ होता है। यह व्रत करने वाले व्रती 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते है। जिसके बाद छठी मैया की आराधना और सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का समापन किया जाता है।
छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला यह महापर्व पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में छठ पूजा पर एक अलग ही धूम देखने को मिलती है। संतान की सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना के लिए इस दिन सूर्य देव और छठी मइया की पूजा की जाती है। इस व्रत में सुबह और शाम के अर्घ्य देने की परंपरा है। नहाए खाए के साथ शुरु होने वाला छठ पूजा का पहला दिन 8 नवंबर को है। छठ का दूसरा दिन खरना 9 नवंबर को है। छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और रात में खीर का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। छठ का तीसरा दिन छठ पूजा या संध्या अर्घ्य 10 नवंबर को होगा। उल्हासनगर में वालधुनी नदी, बदलापुर उल्हास नदी, और अंबरनाथ में खदान परिसर में इस पर्व को मनाने के लिए तैयारियां शुरू हो गई है।