ठाणे

Published: Dec 07, 2021 07:03 PM IST

Smart City Schemeस्मार्ट सिटी परियोजनाओं में गड़बड़ी को लेकर केंद्र सरकार सख्त हरदीप सिंह पुरी ने दिए जांच के आदेश

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

ठाणे : केंद्रीय शहरी विकास मंत्री (Union Urban Development Minister) हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने आज केंद्र सरकार (Central Government) को ठाणे शहर (Thane City) में लागू स्मार्ट सिटी योजना (Smart City Scheme) में गड़बड़ी की जांच के आदेश दिए।

 ठाणे शहर भाजपा इकाई ने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के पास 50 प्रतिशत वित्त पोषित स्मार्ट सिटी योजना के कार्यान्वयन में गैर व्यवहार और अधिकांश कार्यों की धीमी प्रगति का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। साथ ही विशेष बैठक की मांग की।  इसी के तहत मंगलवार को केंद्रीय शहरी विकास विभाग की बैठक हुई। बैठक में स्मार्ट सिटी मिशन के प्रमुख अरुण कुमार और शहरी विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इस अवसर पर भाजपा के राज्यसभा सदस्य विनय सहस्रबुद्धे, विधायक और जिलाध्यक्ष निरंजन डावखरे, भाजपा के महानगरपालिका गटनेता मनोहर डुंबरे और शहर उपाध्यक्ष सुजय पत्की भी मौजूद थे।

इस दौरान राज्यसभा सांसद विनय सहस्त्र बुद्धे ने कहा कि भले ही अदालती चक्कर मे फंसा ठाणे और मुलुंड रेलवे स्टेशनों के बीच एक नया ठाणे स्टेशन स्थापित करने की एक परियोजना को अब तक गति न देने और जमीन को महानगरपालिका द्वारा अब तक कब्जे में न लेने और ठाणे पूर्व में सैटिस 2 परियोजना के लिए 260 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। लेकिन अभी 38 फीसदी काम ही पूरा नहीं होने के लेकर नाराजगी जताई। इसी प्रकार मुंब्रा-रेतीबंदर, नगला बंदर, कावेसर, वाघबिल और कोपरी में वाटर फ्रंट विकास कार्य किए गए। हालांकि, वे कार्य अभी भी अधूरे हैं।  बैठक में भाजपा नेताओं ने बताया कि ठाणे रेलवे स्टेशन क्षेत्र, गावदेवी पार्किंग आदि में जलापूर्ति की रीमॉडलिंग पांच साल बाद भी पूरी नहीं हुई है।

सभी परियोजनाओं की जांच होनी चाहिए

जलापूर्ति की स्मार्ट मीटरिंग के काम पर 121 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद थी। 80 % काम पूरा हो चुका है। लेकिन उस कार्य का अपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ा है। मासुंदा तालाब झील के सौंदर्यीकरण पर 11 करोड़ 22 लाख रुपये खर्च किए गए। हालांकि, वह काम घटिया किस्म का निकला। तालाब के चारों ओर एक प्रकार का कांच का रिसाव था। महानगरपालिका ने केवल एक मोबाइल एप बनाने के लिए डिजी ठाणे परियोजना से 28 करोड़ 80 लाख रुपये का काम दिया था। जोकि फ्लॉप रहा। शहर को कमांड सेंटर से सीसीटीवी से नियंत्रित किया जाना था। हालांकि, वह उद्देश्य हासिल नहीं किया गया है, उक्त बातें राज्यसभा सदस्य विनय सहस्रबुद्धे ने कही। उन्होंने कहा कि 20 पूर्ण कार्यों में से 12 में स्मार्ट शौचालय शामिल हैं। यह शौचालय भी बंद पड़ा है ऐसे में स्मार्ट सिटी मामले में ज्यादातर काम भ्रष्टाचार से जुड़ा है। सहस्त्र बुद्धे ने आरोप लगाया कि कंसल्टिंग फर्मों पर अरबों रुपए लुटाए गए। साथ ही महानगरपालिका के कब्जे में बिना किसी स्थान या आवश्यक अनुमति के वाटरफ्रंट परियोजना पर काम शुरू किया गया था। अब बाधाएं आ रही हैं। लेकिन इस पर भी 20 करोड़ रुपए प्रशासनिक खर्च पर खर्च किए गए। स्मार्ट सिटी के अधिकांश कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। इसलिए भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने मांग की थी कि सभी परियोजनाओं की जांच होनी चाहिए। अंतत: केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्मार्ट सिटी के माध्यम से ठाणे नगर निगम द्वारा किए गए कार्यों की जांच के आदेश दिए।

387 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी सुविधा का अभाव

स्मार्ट सिटी योजना के तहत ठाणे नगर निगम द्वारा स्वीकृत 35 परियोजनाओं में से केवल 20 परियोजनाएं पांच साल बाद भी पूरी हो पाई हैं। पूरी हुई 20 परियोजनाओं में से 12 शौचालय हैं। केंद्र सरकार द्वारा ठाणे नगर निगम को 196 करोड़ और महाराष्ट्र सरकार द्वारा 98 करोड़ दिए गए। ठाणे महानगरपालिका ने 200 करोड़ रुपये दिए थे। महानगरपालिका के 200 करोड़ रुपये में से 93 करोड़ रुपये खर्च किए गए।  इस प्रकार, 387 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद, नागरिकों को स्मार्ट सिटी परियोजना से लाभ नहीं मिला है।