ठाणे

Published: Nov 11, 2021 10:22 PM IST

Chhath Puja भिवंडी में शीघ्र बनेगा छठ देवी माता का मंदिर : निलेश चौधरी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम
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भिवंडी.  भिवंडी (Bhiwandi) में छठ (Chhath) का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। बुधवार (Wednesday) की शाम डूबते (Drowning) हुए सूर्य को अर्घ्य (Arghya) देकर रातभर निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) रखने के बाद गुरुवार (Thursday) को सुबह उगते हुए सूर्य (Sun) को अर्घ्य देकर छठ का पर्व धूमधाम से संपन्न हुआ। इस पर्व के अवसर पर भिवंडी शहर के प्रसिद्ध वाराला देवी (Varala Devi) तालाब के साथ शहर के अन्य तालाब कामवारी नदी (Kamawari River) और खाड़ी के किनारे हजारों की संख्या में छठ व्रतियों का हुजूम इकट्ठा होकर पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ पर्व को मनाया और छठी माता से कोरोना जैसी जानलेवा महामारी के संकट को पूरी तरह से खत्म करने सहित परिवार, समाज, शहर और देश की कुशलता संपन्नता और सुरक्षा और अपनी मन्नतों की पूर्णता के लिए वरदान मांगा।

इस अवसर पर छठ प्रतिष्ठान द्वारा लगाए गए मंच पर अपने विचार व्यक्त करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नगरसेवक निलेश चौधरी ने घोषणा किया कि नगरसेवक मनोज काटेकर के साथ मिलकर भिवंडी शहर में छठ देवी माता के मंदिर का निर्माण शीघ्र शुरू किया जाएगा। घाट के किनारे हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने नगरसेवक निलेश चौधरी की इस घोषणा का तालियों की जोरदार गड़गड़ाहट से स्वागत किया। इस अवसर पर मंच पर भाजपा भिवंडी शहर जिलाध्यक्ष नगरसेवक संतोष शेट्टी, पत्रकार कृष्णगोपाल सिंह, छठ प्रतिष्ठान के अध्यक्ष शिलानंद झा उर्फ दरभंगी सेठ, सत्यशीला जाधव, सुनीता यादव, अभयराज सिंह सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

कृत्रिम तालाब बनाकर अपने घरों पर ही की छठ पूजा

गौरतलब है, कि बुधवार की शाम छठ त्यौहार मनाने के लिए छठ व्रतियों का भारी हुजूम भिवंडी शहर के कामतघर स्थित पवित्र और विशाल वराला देवी तालाब के किनारे बने तीनों घाट सहित नारपोली तालाब, भादवाड़ तालाब, कामवारी नदी के शेलार घाट और कशेली और कोनगांव खाड़ी के किनारे सूर्य देवता को अर्घ्य देने के लिए सिर पर फल, पकवान, सब्जियों से  भरी और फूलों से सजी बड़ी-बड़ी टोकरियों के अलावा पूजा-प्रसाद की सामग्री और गन्नों के साथ महिला, पुरुष और बच्चों की भारी भीड़ पूजा के लिए उमड़ पड़ी थी। सभी तालाब के घाट महिलाओं के रंग-बिरंगे परिधानों से शोभायमान हो रहे थे। इसी के साथ शाम को अस्ताचल के सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रतियों ने अपना निर्जल व्रत शुरू किया। रातभर छठ माता के पावन पवित्र गीत, पूजा, भजन और अर्चना के साथ जागकर गुरुवार को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर त्यौहार की पारंपरिक पूजा को संपन्न किया गया। कई लोगों ने कृत्रिम तालाब बनाकर अपने घरों पर ही छठ पूजा को पारंपरिक तरीके से संपन्न किया।