ठाणे

Published: Dec 20, 2022 06:34 PM IST

NMMC Solar Power Projectखटाई में NMMC की ऊर्जा परियोजना, जानें क्या है पूरा मामला

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नवी मुंबई: महानगरपालिका की ओर से मोरबे बांध(Morbe Dam)  के जलाशय पर ‘निर्माण, उपयोग और हस्तांतरण’ (BOT) के सिद्धांत पर फ्लोटिंग सौर ऊर्जा परियोजना (Floating Solar Power Project) स्थापित करने की कवायद की जा रही है, लेकिन इस प्रोजेक्ट के लिए मंगाए गए टेंडर को बहुत कम रिस्पांस मिला है। इससे पहले दो बार टेंडर मंगाया गया था, जिसे किसी कंपनी से कोई रिस्पांस नहीं मिला था। अब की बार उक्त काम के लिए सिर्फ आईबीएम सॉल्यूशंस का टेंडर आया है, जिसे लेकर नवी मुंबई महानगरपालिका (Navi Mumbai Municipal Corporation) प्रशासन असमंजस में है कि इसे मान्य करें या नकारे दें। जिसकी वजह से नवी मुंबई महानगरपालिका (NMMC) की उक्त परियोजना खटाई में पड़ गई है।

गौरतलब है कि नवी मुंबई महानगरपालिका के भोकरपाड़ा जल शुद्धिकरण केंद्र परियोजना, 27 जल कुंभों, स्ट्रीट लाइट, स्कूलों, सीवरेज केंद्रों के संचालन के लिए 80 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है। जिसे पूरा करने के लिए महानगरपालिका द्वारा मोरबे जलाशय के क्षेत्र में फ्लोटिंग सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करने का प्रयास विगत कई साल से किया जा रहा है, जो अब तक संभव नहीं हो पाया है। इसके पहले उक्त बांध की दीवार पर सौर ऊर्जा पैनल लगाकर बिजली पैदा करने की नीति तय की गई थी, जिस पर तत्कालीन कमिश्नर तुकाराम मुंढे ने बांध की सुरक्षा और परियोजना की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगाकर उक्त परियोजना को रद्द कर दिया था। उस वक्त इसकी कीमत करीब 200 करोड़ रुपए थी।

3.36 रुपए में बिजली खरीदेगी महानगरपालिका

 मोरबे बांध के पानी पर सौर ऊर्जा परियोजना लगाने के लिए महानगरपालिका द्वारा निविदा निकाली गई थी, जिसके लिए उक्त कंपनी से 500 करोड़ रुपए की निविदा भरी है। इस परियोजना से 100 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। परियोजना के लिए 500 एकड़ क्षेत्र की आवश्यकता होगी और सलाहकार का कहना है कि मोरबे में पानी के विशाल क्षेत्र से यह आवश्यकता संभव है। इस परियोजना से बनने वाली बिजली को महानगरपालिका ने 3.36 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदने की तैयारी दिखाई है।

पानी और बिजली की होगी बचत

 बताया जाता है कि चूंकि उक्त परियोजना को स्थापित करने की प्रति इकाई पर साढ़े 4 से 5 रुपए खर्च होने की संभावना को देखते हुए ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र से जुड़ी अधिकांश कंपनियां इस परियोजना में रुचि नहीं दिखा रही है। वहीं उक्त परियोजना से जलाशय के पानी का बहुत कम वाष्पीकरण होगा, जिसकी वजह से पानी की बचत होगी। जिससे महानगरपालिका द्वारा नागरिकों को अधिक पानी उपलब्ध होने का दोहरा लाभ होगा। उक्त परियोजना के बारे में महानगरपालिका प्रशासन कहना है कि महानगरपालिका हर साल बिजली बिल पर एमएसईबी को 100 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान करती है। बीओटी पर सौर ऊर्जा परियोजना से इसकी बचत होगी और सार्वजनिक बिजली की खपत में 40 प्रतिशत की बचत होगी।