उत्तर भारत

Published: Oct 21, 2020 11:03 AM IST

ओपिनियन पोलक्या कहीं 'फ्लोटिंग वोटर' तो तय नहीं करेगा बिहार में सत्ता की लड़ाई?

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

पटना. एक तरफ जहाँ बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhan Sabha Elections) को लेकर माहौल गरम है। वहीं दूसरी तरफ लोग अबकी बार बिहार में किसकी सरकार? के सवाल को लेकर अपना सर घुन रहे हैं जिसके मतदान के कुछ दिन ही रह गए हैं। अब  ठीक चुनाव के पहले CSDS-लोकनीति के ओपिनियन पोल (CSDS Lokniti Opinion Poll) को देखें तो बिहार की जनता नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को फिर से मुख्यमंत्री (CM) के रूप में देखना चाहती हैं। ओपिनियन पोल के मुताबिक गठबंधन को सत्ता के लिए जरुरी 122 सीटों में से 11 से 21 अतिरिक्त सीटें मिल सकती है। 

लेकिन तस्वीर के दुसरे पहलु के अनुसार ऐसे भी कुछ लोग सर्वे में थे जिन्होंने अब तक तय नहीं किया है कि वह किस पाले में खड़े हैं और चुनाव वाले दिन यही लोग चौंकाने वाला आंकड़ा खड़ा कर सकते हैं। 

क्या है लोकनीति-सीएसडीएस के ओपिनियन पोल में:

अंतिम निर्णय लेने में 24 % लोग असमर्थ:

लेकिन एक बड़ी संख्या ऐसी है जो अभी भी अंतिम निर्णय लेने से पहले सौ बार अच्छे सोच रही है। हालाँकि यह लोग केवल 10% ही हैं। लेकिन यह वाली जनता अभी भी अगले पांच साल के लिए किसे मौके दें इस पर भी सोच रही है।

कुछ मतदान के दिन ही तय करेंगे अपना नेता:

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सीधे मतदान के दिन ही ये तय करेंगे कि आखिर किसके पाले में उन्हें वोट करना है। ऐसे लोगों का प्रतिशत 14 % ही है। अब अगर इन सबको जोड़ा जाए तो 24 % लोग ऐसे हैं जो अभी भी कोई निर्णय पे नहीं पहुंचे हैं। इसके माने ये कि बिहार की एक चौथाई वोटर अभी भी मतदान को लेकर अंतिम निर्णय नहीं कर पायी है।

यह अनुमान कर सकता है चुनाव में बड़ा फेरबदल: 

अब अगर ओपिनियन पोल का ये अनुमान सही साबित हुआ तो चुनावी नतीजों में इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है। जहाँ बीजेपी और JDU जिस उम्मीद से दोबारा सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं और वहीँ दूसरी तरफ तेजस्वी यादव की लोकप्रियता जिस प्रकार से ]बढ़ रही है। उससे लगता है कि कहीं यही 24 % लोगों का मतदान फर्क खड़ा न कर दे और हवा का रुख बदल कर रख दे।   

बिहार में क्या हो सकेगा बदलाव: 

लोकनीति-सीएसडीएस के इस सर्वे में वैसे तो NDA की सरकार बनती दिख रही है, लेकिन RJD के दीपक तेजस्वी यादव की लोकप्रियता में जबरदस्त उछाल है। इस सर्वे में 27 % लोग CM के रूप में तेजस्वी यादव को पसंद कर रहे हैं जबकि नितीश को 31% लोग। इसके माने दोनों की लोकप्रियता का अंतर मात्र 4% का ही है। जहाँ अब तेजस्वी की रैलियों में जबरदस्त भीड़ है वहीं नितीश की रैलियों में बीजेपी के स्टार प्रचारकों का भी समावेश है। ऐसे में क्या तेजस्वी अपनी रैलियों में आने वाली भीड़ को वोट में बदलने की कोशिश नहीं करेंगे जिसे कि वोटों का अंतर कुछ कम हो।   

कौन होते हैं फ्लोटिंग वोटर :

वोट किसे देना है, यह तय करने में अंतिम समय तक अनिर्णय की स्थिति में रहने वाले मतदाता ही इस श्रेणी में आते हैं। इनके लिए पार्टी या विचारधारा कुछ ख़ास अहम नहीं होती है । जिस पार्टी के प्रचार से प्रभावित हो जाएं या जिसे जीतता हुआ आंक लें, उधर चले जाते हैं। पार्टी की लीडरशिप या प्रत्याशी से प्रभावित होकर उसके साथ हो लेते हैं। कभी आसपास के प्रभावशाली लोग जिधर जाते हैं, ये भी वही राह अपना सकते हैं।

गौरतलब है कि CSDS-लोकनीति ओपिनियन पोल में 37 विधानसभा सीटों के 148 बूथों को कवर किया गया, जिनमें से 3731 लोगों से बात की गई। यह सर्वे 10 से 17 अक्टूबर के बीच किया गया है। जिसमें 60 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिला मतदाताओं से बात की गई। वहीं243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए 133-143 सीटें हासिल कर सकती है। तेजस्वी के महागठबंधन को 88 से 98 सीटें मिल सकती हैं। चिराग की एलजेपी 2-6 सीटें ही जीत सकती है। बता दें कि बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है। यानी बिहार में NDA की सरकार बन सकती है फिलहाल ऐसा इस ओपिनियन पोल में निकल कर आ रहा है। वैसे यह भी तो दिख रहा है कि तेजस्वी यादव भी धीरे धीरे ऊपर की तरफ आ रहे हैं। वैसे भी यह चुनावी हवा है और हवा कभी भी गर्म या ठंडी हो सकती है।