उत्तर प्रदेश

Published: Apr 04, 2022 05:14 PM IST

UP State BJP PresidentUP में सरकार के बाद अब संगठन के मुखिया की तलाश के लिए BJP में कशमकश

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

-राजेश मिश्र

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) की दूसरी पारी शुरु होने के साथ तेजी से प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष (State BJP President) कौन होगा इसकी चर्चाएं तेज हो गयी हैं। मंत्रिपरिषद से बाहर रह गए कुछ कद्दावर नामों से लेकर संगठन में प्रभावी लोगों के नाम हवा में तैर रहे हैं। बीजेपी (BJP) के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर बीते सप्ताह सोशल मीडिया (Social Media) पर अटकलों का दौर तेजी से चलता रहा। पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा (Shrikant Sharma) को इस पद पर नियुक्त करने की खबरें वायरल होती रहीं। रायबरेली से बीजेपी विधायक अदिति सिंह ने भी सोशल मीडिया पर श्रीकांत को बधाई देकर अटकलों को और हवा दे दी। वहीं, कुछ नेताओं ने श्रीकांत से फोन किया तो उन्होंने ऐसी कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया।

गौरतलब है कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को प्रदेश सरकार में जलशक्ति मंत्री बनाया गया है। पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत लागू होने के कारण स्वतंत्रदेव की जगह नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है। हालांकि स्वतंत्रदेव का कार्यकाल 19 जुलाई तक है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि संगठनात्मक कार्यों को सुचारु रखने के लिए नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द हो सकती है।

ब्राह्म्ण समाज ने बीजेपी को दिया बंपर वोट 

उत्तर प्रदेश की राजनीति मे जातियों के महत्व को रखते हुए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि बीजेपी के मुखिया तय करते समय इसे ध्यान में नहीं रखा जाएगा। प्रदेश सरकार के मुखिया ठाकुर समुदाय से होने के बाद और मंत्रिपरिषद में पिछड़ों की भरपूर नुमांयदगी होने के चलते निगाहें ब्राह्म्ण और दलित समुदाय से आने वाले नेताओं पर टिकती है। जिस तरह से अनदेखी, नाराजगी जैसी खबरों के बीच ब्राह्म्ण समाज ने झूम कर बीजेपी को वोट दिया है औऱ बंपर जीत दिला सरकार बनाने में भूमिका निभाई उससे इसका दावा सबसे मजबूत हो जाता है।

कई नामों की हो रही चर्चा

यूपी में साल 2004 से 2019 तक के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण रहा है। 2004 में केसरीनाथ त्रिपाठी, 2009 में रमापतिराम त्रिपाठी, 2014 में लक्ष्मीकांत बाजपेयी और 2019 में महेंद्रनाथ पांडेय प्रदेश अध्यक्ष थे। इसलिए अटकलें लगाई जा रही हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भी यह पद किसी ब्राह्मण नेता को दिया जा सकता है। ब्राह्मण नेताओं में श्रीकांत शर्मा, नोएडा के सांसद महेश शर्मा, अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम, बस्ती के सांसद और राष्ट्रीय मंत्री हरीश द्विवेदी, कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक, प्रदेश महामंत्री अश्विनी त्यागी, प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक और बृज बहादुर उपाध्याय और पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा के नाम प्रमुख हैं। राज्य में ब्राह्मणों की संख्या कुल आबादी का करीब 10 फीसदी है और यह समुदाय चुनावी रूप से काफी महत्वपूर्ण है। किसी ब्राह्मण नेता को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि राज्य के हालिया विधानसभा चुनाव में तमाम नाराजगी की खबरों के बावजूद ब्राह्मण वोटर बीजेपी के पक्ष में ही एकजुट दिखे। 

यहां मिली बीजेपी को कामयाबी 

ब्राह्म्णों के साथ ही जिस समाज को लेकर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व सबसे ज्यादा माथापच्ची कर रहा है वह दलित समुदाय है। यूपी में आमतौर पर बड़ी तादाद में दलितों के वोटों पर हकदारी बसपा की रहती रही है। हालांकि बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में इस मिथक में सेंध लगाने में थोड़ी बहुत कामयाबी हासिल की थी। बीजेपी को पहले 2014 के लोकसभा चुनावों में और फिर 2017 के विधानसभा और फिर 2019 के लोकसभा चुनावों में कम से कम गैर जाटव दलित वोटों का बड़ा हिस्सा मिला था।

दलित समुदाय से इन नामों पर चर्चा तेज

बीजेपी से लिए किसी भी जीत से बड़ी सफलता 2022 के विधानसभा चुनाव में अधिसंख्य दलितों और यहां तक कि जाटव समुदाय के भी कुछ वोटों का मिल जाना रहा है। पहली बार प्रदेश की राजनीति में बीते तीन दशकों में जाटव समाज के वोटों में किसी गैर बसपा दल ने सेंध लगायी है और बीजेपी इस सिलसिले को जारी रखते हुए इस बिरादरी के लिए काम करती रहेगी। इस महत्वपूर्ण तथ्य के मद्देनजर इस बात की भी संभावना जतायी जा रही है कि यूपी में अगला बीजेपी अध्यक्ष दलित समुदाय से हो। फिलहाल बीजेपी में दलित बिरादरी के नेताओं में विद्यासागर सोनकर, जीएस धर्मेश, लक्ष्मण आचार्य सहित कुछ लोगों के नामों की चर्चा तेज हो रही है।