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Published: Jun 29, 2021 05:00 PM IST

Chinaअजब-गजब : ऐसा देश जहां एक ही लड़की से शादी करते हैं परिवार के सब भाई,वजह जान रह जायेंगे हैरान

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

 चीन : आपने अलग-अलग तरह की अजोबोग़रीब घटनाये सुनी या पढ़ी होंगी लेकिन जिसके बारे में हम आज आपको बताने जा रहे है। उसे सुन कर आप हैरान रह जायेंगे। चीन में वन चाइल्ड पॉलिसी (one child policy in China) के कारण आर्थिक विकास तो बड़े पैमाने पर हुआ है।लेकिन लड़के और लड़कियों के रेश्यो पर इससे भारी फर्क (gender imbalance) पड़ा। महिलाओं की संख्या बस हमारे देश में ही कम है ऐसा अगर आप सोच रहए होंगे तो आप बिलकुल गलत है।

लड़कों की तादाद में लड़कियां  है कम

पुरानी सोच वाले चीनी कपल ने लड़कों के जन्म को महत्व दीया। इस वजह से चीन में आज लड़कियों का प्रतिशत लड़कों से काफी कम है। यही वजह है कि चीन में शादी के लिए पुरुषों को दुल्हनें नहीं मिल रहीं। इसे ही देखते हुए हाल ही में एक प्रोफेसर ने देश में बहुपतित्व (polyandry in China ) प्रथा शुरू करने की बात की है। पड़ोसी देश तिब्बत (Tibet) में कई समुदायों में यह प्रथा चली आ रही है।

जानें क्या है मामला

फोडन यूनिवर्सिटी के चीनी अर्थशास्त्री यी कांग एनजी के मुताबिक फिलहाल चीन में लैंगिक असमानता इतनी ज्यादा है कि 117 लड़कों पर 100 लड़कियां हैं। इसी वजह से लड़के अविवाहित रह जा रहे हैं। ये असमानता साल 1980 में चीन में लागू वन चाइल्ड पॉलिसी का नतीजा है। हालांकि इस पॉलिसी में साल 2016 में ढील दे दी गई लेकिन तब तक असमानता आ चुकी थी। अब चीन में लड़कों की बड़ी आबादी शादी के लिए साथी न मिलने की समस्या से जूझ रही है। यहां तक कि पड़ोसी देशों और पाकिस्तान की भी माइनॉरिटी से लड़कियों की चीन में तस्करी की खबरें आती रहती हैं। माना जा रहा है कि युवाओं के अविवाहित रहने पर बच्चों की संख्या भी कम रहेगी और इससे अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होगा।

चीन के प्रोफेसर की अजीबोगरीब सलाह

इसी समस्या को हल करने के लिए चीन के जाने-माने अर्थशास्त्री ने two-husband रणनीति अपनाने की बात कही है। इस चीनी वेबसाइट में अपने नियमित स्तंभ लिखने वाले ये प्रोफेसर काफी ख्यात हैं। उन्होंने बहुपतित्व की वकालत करते हुए तिब्बत का भी हवाला दिया कि वहां पर भी कई समुदायों में एक पत्नी के कई पति होते हैं। “Is polyandry really a ridiculous idea?” यानी क्या बहुपतित्व वाकई में खराब है शीर्षक के साथ उन्होंने तिब्बत की बात की और चीन को भी इसी तरीके से समस्या हल करने का सुझाव दिया। 

पड़ोसी देश में चली आ रही प्रथा

हमें ऐसा लगता था की ये शायद अभी होने वाली नई घटना है,लेकिन यह सोचना गलत है। तिब्बत में सदियों से पत्नी साझा करने की प्रथा चली आ रही है। इसके तहत एक परिवार में दो या तीन भाइयों की एक ही पत्नी होती है। इसकी एक वजह ये भी रही कि तिब्बत अपने-आप में ही छोटा देश है। ऐसे में खेती-किसानी करने वाले परिवारों में अगर हर लड़के की एक पत्नी हो तो शादी से होने वाले बच्चों और फिर जमीन के वारिसों की समस्या होती। जमीनें या दूसरी संपत्ति कई टुकड़ों में बंट जाती। बहुपतित्व से वहां के कई समुदायों को उत्तराधिकार में जायदाद के टुकड़े करने से छुटकारा मिला। इसकी एक वजह ये भी रही कि अगर एक भाई किसी वजह से दूर की यात्रा पर निकले तो पत्नी और जमीन की देखभाल के लिए घर पर एक पुरुष सदस्य हो।

शादी की रस्में एक ही भाई के साथ

इस शादी में अजीबोगरीब परंपरा है। जैसे एक ही स्त्री परिवार के दो से तीन भाइयों की पत्नी होती है लेकिन शादी की रस्में सबसे बड़े भाई के साथ ही की जाती हैं। यहां तक कि बाद में होने वाले दूसरे रीति-रिवाजों में भी बड़े भाई के साथ ही पत्नी बैठती है लेकिन घर के भीतर स्त्री के सारे भाइयों से संबंध होते हैं। 

इस शादी से पैदा संतानों के बारे में किसी भाई को या परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं पता होता है कि बच्चे का जैविक पिता कौन है। ये इस लिहाज से भी बेहतर माना जाता है कि तब बच्चे को सारे ही पिताओं का समान प्यार मिलेगा। कई बार ये पता भी रहे कि बच्चे का जैविक पिता कौन है, तब भी ये बात कही नहीं जाती और बच्चे को सबको समान रूप से प्यार मिलता है। माना जाता है कि तिब्बत में सदियों से ये प्रथा चली आ रही थी। 

साल 1959 के आसपास जब वहां के राजनीतिक परिदृश्य बदले, तब जमीन का अधिकार और टैक्स सिस्टम भी नया बना। ओहियो यूनिवर्सिटी में तिब्बत के मामलों के जानकार प्रोफेसर मेलविन गोल्डस्टेन (Melvyn Goldstein) के मुताबिक इसी वक्त देश में बहुपतित्व के खत्म होने की शुरुआत हुई। हालांकि तिब्बत के कई ग्रामीण समुदायों में अब भी ये प्रथा चली आ रही है। वेनेजुएला और ब्राजील में भी बहुपतित्व प्रथा का चलन है। 

अब चीन के प्रोफेसर के ऐसा लिखने पर चीन में बवाल मचा हुआ है। इसपर प्रोफेसर का तर्क है कि यौन रूप से कुंठित और बूढ़ी आबादी वाले देश की बजाए ये ज्यादा बेहतर है, खासकर अगर स्त्री और पुरुष इसके लिए राजी हों।