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Published: Feb 28, 2022 12:17 PM IST

Viral News शिवभक्त हो तो ऐसा, डेढ़ लाख से ज़्यादा बेल के पौधे लगाकर 'दुर्गा पांडेय' कर रहे हैं भगवान की आराधना

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली, 1 मार्च 2022 को पूरे देश में महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पर्व मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के पावन मौके पर भक्तगण पूजा-पाठ करते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन पर श्रद्धालु व्रत-उपवास करते हैं। वहीं, वह भगवान शिव (Lord Shiva) और मां पार्वती से अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। पूरी दुनिया में भगवान शिव और मां पार्वती के लाखों श्रद्धालु हैं। एल्कीन, आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे है, जो काफी अलग तरह से भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना कर रहे हैं। 

इस शख्स का नाम दुर्गा प्रसाद पांडेय (Durga Pandey) है। दुर्गा प्रसाद पांडेय पर्यावरण प्रेमी हैं। दुर्गा प्रसाद पांडेय पिछले 15 साल से देश भर में विशेषकर, दिल्ली एनसीआर में बेल के पौधे लगा रहे हैं। उन्होंने अब तक डेढ़ लाख से ज़्यादा पौधे लगाए हैं, जिसमें 1 लाख 18 हज़ार सिर्फ बेल के पौधे हैं।

दुर्गा प्रसाद पांडेय गाजियाबाद के वसुंधरा इलाके में कुटिया में रहते है। उन्होंने इस जगह  बेल के पौधों की नर्सरी बना रखी है। यहीं पौधों को सींचते हैं और जरूरतमंद लोगों को देते हैं। इसके साथ ही वह लोगों को बेल के पौधे लगाने के लिए प्रेरित भी करते हैं। इतना ही नहीं दुर्गा प्रसाद पांडेय, शादी-विवाह, मुंडन, जन्मदिन के अवसर पर लोगों को बेल के पौधे उपहार में देते हैं भी।

बेल के पौधे के बारे में दुर्गा प्रसाद पांडेय बताते हैं कि, यह पौधे पर्यावरण के सही है। बेल के पत्ते भगवान शिव को काफी पसंद है। इस वजह से उनकी पूजा करते हुए हर कोई बेल के पत्ते का इस्तेमाल करते है। यह लोगों को शांति प्रदान करने का काम करता है। आज की भागदौड़ की जिंदगी में शांति बहुत ज़रूरी है। बेल के फल के सेवन से पेट की समस्या खत्म हो जाती है। देखा जाए तो बेल का पेड़ वैज्ञानिक और अध्यात्मिक रूप से बहुत ही सही है।

बता दें कि, दुर्गा प्रसाद पांडेय पिछले 1 साल से लगातार शिव कीर्तन कर रहे हैं। कीर्तन करने आने वाले लोगों को वो शिवभक्ति के अलावा पर्यावरण के बारे में भी जागरूक करते है। 

दुर्गा प्रसाद पांडेय बताते हैं कि, दुनिया में प्रदूषण और रेडिएशन के कारण कई बिमारियां बढ़ रही हैं। ऐसे केवल पर्यावरण के जरिए हम धरती को हरा भरा रख सकते हैं। भक्ति का मतलब होता है, मानव कल्याण। अगर ईश्वर ने हमें जन्म दिया है तो प्रकृति को भी जन्म दिया है। ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।