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Published: Jan 13, 2022 01:04 PM IST

Weird News अजीब: देश का ऐसा रेलवे स्टेशन जिसका नहीं है कोई नाम, जानें इसके पीछे की वजह

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली: दुनिया में हर एक चीज, व्यक्ति, जगह हर किसी को पहचान दिलाने के लिए एक नाम दिया जाता है। लेकिन आज हम जो खबर आपको देने जा रहे है उसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। जी हां जहां पहचान के लिए नाम जरूरी है, वही भारत में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है, जिसका कोई नाम नहीं है। 

आपको बता दें कि 31 मार्च 2017 तक देश में कुल 7349 रेलवे स्टेशन थे। लेकिन इनमे से एक रेलवे स्टेशन ऐसा है जिसका कोई नाम नहीं है।जी हां आप भी इस खबर को जानकर दंग रह गए। अब ये खबर जानकर आप भी सोच रहे होंगे कि जब स्टेशन का कोई नाम नहीं है, तो इस स्टेशन से लोग कैसे ट्रेन पकड़ते हैं। आइए जानते है इस सवाल का जवाब…. 

रेलवे सेटिओं बनाया लेकिन नहीं रखा नाम 

दरअसल यह रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के बर्दवान जिले में स्थित है। यह बेनाम रेलवे स्टेशन बर्दवान जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है। यह रेलवे स्टेशन रायना नामक एक गांव में स्थित है। भारतीय रेलवे ने साल 2008 में इस गांव में एक रेलवे स्टेशन बनाया। हालांकि इस स्टेशन का नाम नहीं रखा गया था। जी हां ये देश का इकलौता रेलवे स्टेशन है जिसका कोई नाम नहीं रखा गया था। 

स्टेशन का नाम न रखने के पीछे ये है वजह

जैसे ही आपने ये खबर पड़ी तो आप  सोच रहे होंगे कि भारतीय रेलवे ने इस स्टेशन का नाम क्यों नहीं रखा? बता दें कि इस स्टेशन का नाम इसलिए नहीं रखा गया, क्योंकि स्टेशन को लेकर रायना और रायनगर गांवों के बीच मतभेद है। इस वजह से इसका नाम नहीं रखा जा सका। दरअसल, साल 2008 से पहले एक रेलवे स्टेशन रायनगर में रायनगर रेलवे स्टेशन के नाम से था। तब जहां ट्रेन जहां रुकती थी, उससे 200 मीटर पहले एक नैरो गेज रूट था।

इसे बांकुड़ा-दामोदर रेलवे रूट (Bankura-Damodar Railway Route) कहा जाता था। इसके बाद जब वहां ब्रॉड गेज (Broad Gauge) की शुरुआत हुई, तो नया रेलवे स्टेशन रायना गांव के पास बनाया गया। फिर उसे मासाग्राम के पास हावड़ा-बर्धमान रूट से जोड़ा गया। जब स्टेशन का नाम रखा जाने लगा तो रायना गांव के लोगों ने इसका नाम रायनगर ना रखने की बात कही।

गांव के लोगों ने लगाया था अड़ंगा

रायना गांव के लोगों की जिद थी कि स्टेशन उनके गांव में है तो इसका नाम भी ‘रायना स्टेशन’ होना चाहिए। इसकी वजह से आज तक स्टेशन का नाम नहीं रखा जा सका। बता दें कि स्टेशन पर बांकुड़ा-मासाग्राम नामक ट्रेन दिनभर में 6 बार रुकती है।

खाली बोर्ड से पहचानते है स्टेशन

जो भी यात्री इस स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने आता है, उसे यह जानकर बहुत हैरानी होती है कि स्टेशन का नाम ही नहीं है। जो यात्री यहां ट्रेन से उतरते हैं, उन्हें भी आश्चर्य होता है। इस स्टेशन पर बने प्लेटफॉर्म पर बोर्ड तो लगा है, लेकिन वहां कोई नाम नहीं लिखा है। इस गांव में आने वाले यात्री प्लेटफॉर्म पर खाली बोर्ड देखकर जान जाते हैं कि उनका स्टेशन आ गया है और वह उतर जाते हैं।