विदेश

Published: Nov 26, 2021 12:42 PM IST

Sharbat Gula of Afghanistanहरी आंखों वाली अफगानिस्तान की शरबत गुला एक बार फिर से सुर्खियों में आईं, अब इसलिए हो रही है चर्चा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
Photo:Twitter

नई दिल्ली: हरी आंखों (Green Eyes) वाली “अफगान गर्ल” (Afghan Girl) के नाम से मशहूर अफगानिस्तान (Afghanistan) की शरबत गुला (Sharbat Gula) को इटली (Italy) ने सुरक्षित आश्रय दिया है। शरबत गुला की नेशनल ज्योग्राफिक में 1985 की तस्वीर (Sharbat Gula Photo) उसके देश के युद्धों (War) का प्रतीक बन गई थी और वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गई थी।

एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी के कार्यालय ने शरबत गुला पर इटली ने सुरक्षित आश्रय देने की जानकारी दी। दरअसल एक बयान में कहा गया है कि, अगस्त महीने में अफगानिस्तान में तालिबानी शासन कायम करने के बाद गुला ने अफगानिस्तान छोड़ने के लिए मदद मांगी थी। इसके बाद सरकार ने मामले में हस्तक्षेप किया है। बयान में कहा गया है कि उनका इटली में आश्रय अफगान नागरिकों को निकालने और एकीकृत करने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम का हिस्सा था।

बता दें कि, अमेरिकी फोटोग्राफर स्टीव मैककरी ने पाकिस्तान-अफगान सीमा पर एक शरणार्थी शिविर में रह रही शरबत गुला की तस्वीर खींची थी। तब गुला एक युवा बच्ची थी। उनकी हरी आंखों, सर पर हेडस्कार्फ  और चेहरे पर दर्द के गुस्से वाले फोटो ने दुनिया को हिला दिया था। 1985 में नेशनल ज्योग्राफिक चैनल पर आई शरबत गुला की तस्वीर दुनिया भर के कई देशों में चर्चा का विषय बन गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि, अगस्त में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्ज़े और फिर तालिबान सरकार बनने के प्रयासों के दौरान गुला ने अफगानिस्तान छोड़ने के लिए मदद मांगी थी। जिसके बाद सरकार ने हस्तक्षेप किया।

गुला की यह तस्वीर उस दौर के अफगानी नागरिकों के दर्द की एक तस्वीर में पूरी कहानी बयान करने के लिए काफी था। यह तस्वीर बाद में का अफगानियों के दर्द का प्रतीक बन गई थी। बताया जाता है कि, इसके कई साल बाद वर्ष 2002 में जब फोटोग्राफटर स्टीव मककरी फिर से एक बार अफगानिस्तान पहुंचे थे तो उन्होंने शरबत गुला को फिर से खोजा और एक बार फिर से उनकी नई तस्वीर ने सुर्खियां बटोरी थीं।

इससे पहले, साल 2016 में पाकिस्तान ने देश में रहने के प्रयास और राष्ट्रीय पहचान पत्र बनाने के आरोप में गुला को गिरफ्तार किया था। हालांकि तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने उनका स्वागत किया था और उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए एक अपार्टमेंट देने का वादा किया था। अब अफगानिस्तान पर तालिबानी सरकार की हुकूमत के बाद एक बार फिर से महिलाओं आजादी पर सवाल उठ रहे हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार, वैसे अफगानिस्तान के हालात पहले से ही दुनिया से छिपे नहीं है। शरबत गुल के बारे में कहा जाता है कि, सैकड़ों अफगानों की तरह उन्होंने भी कई दर्द झेले हैं। साल 1979 में अफगानिस्तान पर सोवियत संघ के आक्रमण के करीब पांच साल के बाद शरबत गुला भी उन लाखों अफगानों में से एक थी जो अपनी जान बचाने के लिए पाकिस्तान बॉर्डर के करीब पहुंची थी। बताया जाता है कि, तब युवा शरबत गुला अनाथ हो चुकी थी। पाकिस्तान सरकार ने उन्हें गिरफ्तार करने के बाद 2019 में वापस अफगानिस्तान भेज दिया था। वहीं इटली के मुताबिक, अफगानिस्तान में तालिबान के कब्ज़े के बाद सितंबर की शुरुआत में इटली ने अफगानिस्तान से लगभग 5,000 अफगानों को बाहर निकाला है।