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Published: Dec 02, 2020 12:36 PM IST

UNआतंकवाद से विश्व युद्धों की तरह दुनिया में जनसंहार होने का खतरा है: UN में भारत

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

संयुक्त राष्ट्र: भारत (India) ने कहा है कि आतंकवाद समकालीन भारत में युद्ध छेड़ने के माध्यम के रूप में सामने आया है और इससे पृथ्वी पर उसी तरह का नरसंहार होने का खतरा है, जो दोनों विश्व युद्धों के दौरान देखा गया था। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव आशीष शर्मा (Ashish Sharma) ने सोमवार को कहा, ‘‘द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के 75 वर्ष पूरा होना, हमें संयुक्त राष्ट्र के मकसद और इसके आधारभूत सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता को पुन: पुष्ट करने का अवसर देता है। संयुक्त राष्ट्र का मकसद युद्ध के अभिशाप से आने वाली पीढ़ियों को बचाना है।”

शर्मा ने द्वितीय विश्व युद्ध के पीड़ितों के सम्मान में आयोजित विशेष बैठक में कहा, ‘‘आतंकवाद समकालीन दुनिया में युद्ध छेड़ने के एक तरीके के रूप में सामने आया है। इससे दुनिया में उसी प्रकार का नरसंहार होने का खतरा है, जो हमने दोनों विश्व युद्धों के दौरान देखा था। आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है और वैश्विक स्तर पर प्रयासों के जरिए ही इससे निपटा जा सकता है।”

उन्होंने देशों से अपील की कि वे युद्ध छेड़ने के समकालीन प्रारूपों से लड़ने और अधिक शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित दुनिया सुनिश्चित करने के लिए स्वयं को समर्पित करें। शर्मा ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में सबसे अधिक संख्या में सैन्यकर्मियों ने भाग लिया। औपनिवेशिक शासन के अधीन होने के बाजवूद भारत के 25 लाख जवान द्वितीय विश्व युद्ध में लड़े। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना इतिहास का सबसे बड़ा स्वयंसेवी बल है, जिसके 87,000 जवानों की जान गई या वे लापता हो गए और लाखों जवान गंभीर रूप से घायल हुए।

शर्मा ने कहा, ‘‘हम हमारे एशियाई, अफ्रीकी और अरब भाइयों के बलिदानों को भी नहीं भुला सकते, जो मित्र ताकतों की आजादी के लिए लड़े और मारे गए, जबकि वे औपनिवेशिक शासन के गुलाम थे।” शर्मा ने दुनिया को बचाने के लिए लड़ने वाले सभी देशों के बहादुर लोगों को सलाम करते हुए कहा कि यह ‘‘निराशाजनक” है कि औपनिवेशिक जगत के हजारों स्वयंसेवकों के युद्ध में योगदान के बावजूद उन्हें उचित सम्मान एवं मान्यता नहीं दी गई।