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Published: Dec 12, 2020 08:43 PM IST

अलोकतांत्रिक कार्यराष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के अलोकतांत्रिक कार्यों के प्रभाव लंबे समय तक दिख सकते हैं

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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वाशिंगटन. हाल ही में संपन्न हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बारे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चुनाव को कमजोर करने के लिए किए गए बेबुनियाद कोशिशों और उन अलोकतांत्रिक कार्यों के प्रभाव लंबे समय तक देखने को मिल सकते हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि यह स्पष्ट है कि कोई भी तथ्य, सबूत और अदालत का कोई भी फैसला ट्रम्प को नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की जीत के बारे में जनता को भ्रमित करने की कोशिश से रोक नहीं सकता है। अपने इस अभियान में ट्रम्प अकेले नहीं है। उन्हें न सिर्फ कई रिपब्लिकन सांसदों की उन्हें मौन सहमति प्राप्त है, बल्कि अमेरिकी संसद के निचले सदन के 126 रिपब्लिकन सांसदों सहित पार्टी के कई नेताओं ने चार अहम राज्यों में बाइडन की जीत को अमान्य कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक मामले का समर्थन किया।

हालांकि, अदालत ने शुक्रवार रात इस मामले को सिरे से खारिज कर दिया। इस पर ट्रम्प ने शुक्रवार देर रात ट्वीट किया, सुप्रीम कोर्ट ने ने हमें निराश कर दिया। लेकिन उन्होंने लेकिन लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया। क्विनिपियाक विश्वविद्यालय के इस हफ्ते के सर्वेक्षण के मुताबिक 77 प्रतिशत रिपब्लिकन मानते हैं कि नवंबर में हुए चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई, जबकि करीब 60 प्रतिशत रिपब्लिकन बाइडन की जीत को अवैध मानते हैं।

हाल के दिनों में, देश भर के न्यायाधीशों ने चुनावी धांधली के आरोप लगाते हुए ट्रंप के चुनाव प्रचार अभियान और अन्य रिपब्लिकन द्वारा दायर मुकदमों को सिरे से खारिज कर दिया है। यहां तक कि अटार्नी जनरल विलियम बार ने भी कहा कि उनके विभाग को ऐसा नहीं लगता है कि चुनाव में कोई धांधली हुई हो, जिसने चुनाव परिणामों को प्रभावित किया हो। इसके बावजूद मतददाताओं के जनादेश को रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में इस हफ्ते ट्रंप की कोशिशों का काफी संख्या में रिपब्लिकन सदस्यों ने समर्थन किया। (एजेंसी)