विदेश

Published: Mar 17, 2021 05:57 PM IST

Japan-Americaक्या है बाइडन प्रशासन के टॉप अधिकारियों की जापान की यात्रा का मतलब, दौरे पर इसलिए बौखलाया हुआ है चीन

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
File

तोक्यो: जापान (Japan) और अमेरिका (America) के शीर्ष मंत्रियों (Top Politicians) की बैठक के दौरान दोनों देशों ने एशिया (Asia) में चीन (China) की ‘जोर-जबरदस्ती और आक्रामकता’ की आलोचना की। अमेरिका (America) के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) के जनवरी में सत्ता में आने के बाद दोनों देशों में शीर्ष मंत्रियों के स्तर पर यह पहली बातचीत हुई है। तोक्यो में मंगलवार को हुई बैठक में बीजिंग की तीखी आलोचना की गई।

बाइडन प्रशासन एशिया सहयोगियों की चिंताओं को दूर करना चाहता है

अमेरिकी मंत्रियों की जापान और दक्षिण कोरिया (South Korea) की यात्रा के जरिए बाइडन प्रशासन एशिया में अपने सहयोगियों की चिंताओं को दूर करना चाहता है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के प्रशासन (Administration) में इन सहयोगियों के साथ संबंधों में कई बार टकराव पैदा हो गया था। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपने जापानी समकक्षों रक्षा मंत्री नोबुओ किशि और विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोटेगी के साथ ‘टू प्लस टू’ वार्ता की। बातचीत के बाद ब्लिंकन ने कहा कि क्षेत्र में लोकतंत्र और मानवाधिकार को चुनौती दी जा रही है और अमेरिका मुक्त एवं स्वतंत्र हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करेगा।

चीन, उत्तर कोरिया के कारण चुनौतियों का सामना कर रहे सहयोगियों के साथ काम करेगा अमेरिका 

ब्लिंकन ने कहा कि बाइडन प्रशासन चीन तथा उसके सहयोगी उत्तर कोरिया के कारण चुनौतियों का सामना कर रहे अमेरिकी सहयोगियों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘चीन अगर जोर-जबरदस्ती और आक्रामकता अपनाता है तो जरुरत पड़ने पर हम उसे पीछे धकेलेंगे।” वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में मंत्रियों ने चीन के शिंजियांग प्रांत में मानवाधिकारों के उल्लंघन, ‘‘दक्षिण चीन सागर में समुद्री क्षेत्र के गैरकानूनी दावों और गतिविधियों”, और पूर्वी चीन सागर में जापान के नियंत्रण वाले द्वीपों पर ‘‘यथा स्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयास” पर गंभीर चिंता जतायी। गौरतलब है कि चीन पूर्वी चीन सागर में स्थित जापान के नियंत्रण वाले द्वीपों पर अपना दावा करता है। बयान में ताइवान जलडमरुमध्य में भी ‘‘शांति और स्थिरता” के महत्व पर जोर दिया गया।

उत्तर कोरिया की अमेरिका को धमकी  

बाइडन प्रशासन के कैबिनेट मंत्रियों की पहली विदेश यात्रा के दौरान ब्लिंकन एवं ऑस्टिन और उनके जापानी समकक्षों के बीच कोविड-19 महामारी और जलवायु परिवर्तन पर मिलकर काम करने को लेकर सहमति बनी। दोनों पक्ष उत्तर कोरिया के परमाणु खतरे और म्यांमा में सैन्य तख्ता पलट से उत्पन्न स्थिति पर भी सहयोग को राजी हुए। अमेरिका के दोनों शीर्ष मंत्रियों के मंगलवार को जापान पहुंचने के तुरंत बाद उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह अगले चार साल तक ‘‘शांति से सोना चाहता है” तो उसे ‘‘कोई बखेड़ा खड़ा नहीं करना चाहिए”। उन्होंने अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच सैन्य अभ्यासों की भी आलोचना की। किम यो जोंग का मंगलवार को आया बयान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के लिए उत्तर कोरिया का पहला आधिकारिक बयान है।

जापान को यूं ही नहीं चुना

बाइडन ने जापानी मंत्रियों को अमेरिका आने का न्योता देने की जगह अपने दो शीर्ष मंत्रियों को जापान यात्रा पर भेजा है, जो एशियाई देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जापान अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी को अपनी कूटनीतिक और रक्षा नीतियों की नींव का पत्थर मानता है। ‘टू प्लस टू’ वार्ता से पहले विदेश मंत्री मोटेगी के साथ बातचीत के दौरान ब्लिंकन ने कहा था, ‘‘हमने पहली कैबिनेट स्तरीय यात्रा के लिए जापान को यूं ही नहीं चुना।” उन्होंने कहा कि वह और ऑस्टिन, गठबंधन के प्रति समर्पण को दृढ़ता प्रदान करने तथा उसे और आगे ले जाने के लिए आए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा पर साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

 चीन के एकतरफा प्रयासों का विरोध

ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका और जापान ने दक्षिण कोरिया के साथ अपनी त्रिपक्षीय साझेदारी के महत्व को पुन: पुख्ता किया, लेकिन मंत्रियों ने युद्ध के दौरान के मुआवजे को लेकर जापान और दक्षिण कोरिया के बीच तनावपूर्ण संबंधों पर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा। ब्लिंकन के साथ बातचीत के बाद मोटेगी ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने क्षेत्र के समुद्री इलाकों में यथा स्थिति में बदलाव के चीन के एकतरफा प्रयासों का विरोध किया।

जापान अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर भी बेहद संवेदनशील

जापान का संविधान किसी भी अंतरराष्ट्रीय मसले के हल के लिए बल प्रयोग पर पाबंदी लगाता है और एशिया में उसका अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाना संवेदनशील मुद्दा है। जापान अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर भी बेहद संवेदनशील कूटनीतिक स्थिति में हैं क्योंकि क्षेत्र के अन्य देशों की तरह उसकी अर्थव्यवस्था भी बहुत हद तक चीन पर निर्भर है, लेकिन वह जापान क्षेत्र में चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों को सुरक्षा के प्रति खतरा मानता है। चीन ने दक्षिण चीन सागर में मानवनिर्मित द्वीप बनाए हैं और उन्हें सैन्य उपकरणों से लैस किया है। इतना ही नहीं, वह दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी मछली समृद्ध क्षेत्रों और जलमार्गों पर अपने हक के दावे कर रहा है।

अमेरिका-जापान वार्ता को तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाना चाहिए-चीन

जापान पूर्वी चीन सागर में अपने नियंत्रण वाले सेंकाकु द्वीपों पर चीन के दावे और विवादित क्षेत्र में उसकी बढ़ती गतिविधियों को खारिज करता है। चीन में इन्हें दियाओयू द्वीप कहा जाता है। चीन का कहना है कि वह सिर्फ अपने सीमा अधिकारों की रक्षा कर रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाओ लिजियान ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका-जापान वार्ता को ‘‘तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाना चाहिए और उसे नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।”